भोपाल
पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने सभी जिला कलेक्टर्स से कहा है कि अपने जिले में वेटलेण्ड संरक्षण समिति का गठन शीघ्र पूर्ण करें। प्रदेश में अब तक 22 जिलों में जिला वेटलेण्ड संरक्षण समिति का गठन किया जा चुका है। समिति गठन का उद्देश्य प्रदेश के तालाबों और जल-स्रोतों को बचाने के साथ इनका संरक्षण करना है।
वेटलेण्ड्स में मैंग्रोव, बाढ़ के मैदान, नदी, तालाब, झील, पानी से भरे जंगल, धान के खेत और वे सारे स्थान शामिल हैं, जहाँ वर्ष के अधिकांश समय पानी भरा रहता है।
जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति में जिले के वन मण्डल अधिकारी, भू-बंदोबस्त अधिकारी, अधीक्षण/कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, संयुक्त संचालक/उप संचालक नगर एवं ग्राम निवेश, कृषि, मत्स्य-पालन विभाग, क्षेत्रीय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मध्यप्रदेश राज्य वेटलेण्ड प्राधिकरण एप्को के अधिकारी को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत (ग्रामीण क्षेत्र) और आयुक्त नगर निगम/मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगरपालिका/नगर परिषद (नगरीय क्षेत्र) समिति के सदस्य सचिव हैं। अध्यक्ष द्वारा नदी-तालाब संरक्षण से संबंधित 2 विशेषज्ञों को नामांकित सदस्य के रूप में समिति में शामिल किया जायेगा।
जिला वेटलेण्ड संरक्षण समिति राज्य वेटलेण्ड प्राधिकरण के प्रति उत्तरदायी होगी और सहयोगी इकाई के रूप में कार्य करेगी। तालाबों की सूची बनाने के साथ उनके पारिस्थितिकीय लाभ की निरंतरता, तालाबों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिये उपस्थित चुनौतियों का चिन्हांकन, तालाबों के समग्र संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करेगी। समिति, राज्य और केन्द्र सरकार के संयुक्त तत्वावधान में वेटलेण्ड संरक्षण से संबंधित योजनाओं और अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन, मूल्यांकन एवं निगरानी में राज्य वेटलेण्ड प्राधिकरण का सहयोग भी करेगी। यह जिले के किसी भी तालाब के संरक्षण एवं प्रबंधन से संबंधित सुझाव और तकनीकी प्रस्ताव राज्य वेटलेण्ड प्राधिकरण को प्रेषित कर सकेगी। समिति प्राधिकरण अथवा अपने स्तर पर चिन्हित तालाब के संक्षिप्त प्रतिवेदन बनाने के लिये भी उत्तरदायी होगी। अपने जिले के तालाबों की सम्पूर्ण जानकारी एकत्र करने के साथ डाटाबेस तैयार कर उसका संधारण भी करेगी।