वाराणसी
गंगा में जल स्तर बढ़ने के साथ मंगलवार को कई घाटों की सीढ़ियां जलाजल हो गईं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दिव्यांगों के जाने के लिए बनाए गए रैंप में भी पानी भर गया। हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह स्थल पर पानी चढ़ गया है। महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर निचले हिस्से में शवदाह के लिए बनाए गए प्लेटफार्मों तक भी पानी चढ़ आने से ऊपरी हिस्से में अंतिम संस्कार किया जाने लगा। इससे भीड़ के साथ ही लोगों को परेशानी भी बढ़ गई।
प्रति घंटे दो सेमी की रफ्तार से बढ़ रहा जलस्तर
मंगलवार शाम छह बजे तक गंगा के जलस्तर में वृद्धि प्रति घंटे दो सेमी की रफ्तार पकड़ चुकी थी। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार जलस्तर 62.68 मीटर तक पहुंच गया है। हालांकि अभी भी यह चेतावनी बिंदु से लगभग सात मीटर दूर है, लेकिन गंगा व वरुणा तटवर्ती क्षेत्रों में धड़कनें बढ़ने लगी हैं। भदैनी घाट पर ऊपर तक पानी चढ़ जाने के कारण घाटों का आपसी संपर्क टूट गया। मीर घाट पर सीढ़ियां डूबीं तो लोगों ने आवागमन के लिए बांस से प्लेटफार्म बना कर आवागमन का रास्ता निकाला। जैन घाट पर तीन सीढ़ियां दिख रही हैं। इसके अलावा अन्य घाटों का भी संपर्क टूट गया है। वैसे वाराणसी में चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर तो खतरे का निशान 71.262 है। अभी तक सबसे उच्च स्तर पर गंगा का जल स्तर नौ सितंबर 1978 को 73.901 तक पहुंचा था। हालांकि इन स्थितियों से अभी जलस्तर दूर है।
दो दिन में बारिश की संभावना
मानसून की द्रोणिका के दक्षिण की ओर झुकने के कारण मंगलवार को भी बारिश नहीं हुई। हालांकि दिन में एक बार आसमान में काले घने बादल जरूर छाए थे। ऐसा में लगा कि बहुत तेज बारिश होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं धूप खिलने से उमस भरी गर्मी भी बढ़ गई। वैसे बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम बन रहा है, जिससे दो दिन में बारिश की संभावना बन सकती है।
बाबतपुर स्थित मौसम विभाग कार्यालय के अनुसार मंगलवार को अधिकतम तापमान मामूली बढ़ाव के साथ 35.0 व न्यूनतम तापमान घटाव के बाद 27.5 डिग्री सेल्सियस पर आ गया था। मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय ने बताया कि मानसून की द्रोणिका अपने सामान्य स्थिति से दक्षिण की दिशा में चली गई है। इसके कारण यहां तेज बारिश नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम बन रहा है। ओडिशा व छत्तीसगढ़ से नमी आने के बाद दो दिन में बारिश हो सकती है।