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प्रदेश में BJP ने बदलीं रणनीति BJP में स्थितियां, राव अब ले रहे फीडबैक

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भोपाल

प्रदेश में चुनावी एक्शन प्लान पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह की सीधी एंट्री के बाद संगठनात्मक स्तर पर परिस्थितियां बदलती दिख रही हैं। शाह के निर्देशों पर अमल के लिए प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, सह चुनाव प्रभारी अश्विनी वैष्णव की टीम एक्टिव मोड में होने के साथ हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करने में जुट गई है और ये दोनों ही नेता बुधवार को फिर भोपाल आएंगे।

उधर यादव, वैष्णव की 15 व 16 जुलाई को हुई बैठकों से गायब रहे भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव अब भोपाल में हैं। बताया जाता है कि राव अपने जन्मदिन की तैयारियों में व्यस्त होने के चलते भोपाल में हुई बैठकों में शामिल नहीं हुए थे। मंगलवार को भोपाल आने के बाद उन्होंने पिछले दिनों हुई बैठकों का फीडबैक लिया है।

राव ने प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर के द्वारा पार्टी के चुनावी कार्यक्रमों को लेकर दिए गए निर्देशों पर अमल की जानकारी ली है। बुधवार को होने वाली बैठक में वे सभी 12 पदाधिकारी और केंद्रीय मंत्री मौजूद रहेंगे जो केंद्रीय गृह मंत्री शाह द्वारा ली गई मीटिंग में मौजूद थे।

इसके मद्देनजर राव आज भोपाल आ गए हैं। दूसरी ओर पिछली बैठकों से प्रदेश चुनाव सह प्रभारी पंकजा मुंडे और रामशंकर कठेरिया की भी अनुपस्थिति रही है, ये दोनों नेता भी कल होने वाली बैठकों में रहेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 19 जुलाई को सिवनी जिलों में विकास पर्व का कार्यक्रम पहले से तय है। इसलिए वे इस बैठक में या तो सुबह या फिर देर रात शामिल होंगे।

दूसरी ओर पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनावी समितियों का खाका आकार ले चुका है। दूसरी ओर पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनावी समितियों का खाका आकार ले चुका है।

15 व 16 जुलाई की बैठकों में नहीं थे मुरलीधर
भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव एमपी की चुनावी कमान संभाल चुके केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक में तो भोपाल में थे लेकिन इसके बाद जब 15 व 16 जुलाई को प्रदेश चुनाव प्रभारी व सह चुनाव प्रभारी शाह के निर्देश पर दोबारा बैठकें लेने आए तो मुरलीधर भोपाल नहीं आए थे।

राव की इन दो दिनों की बैठकों में गैरमौजूदगी को लेकर सवाल भी उठाए जाने लगे थे। राजनीतिक गलियारे में तो यहां तक चर्चा शुरू हो गई है कि राव के गृह राज्य तेलंगाना में भी एमपी के साथ चुनाव होने वाले हैं। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व उन्हें एमपी की जिम्मेदारी से मुक्त कर सकता है।