मुंबई
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि एक दुधमुंहे बच्चे की मां को केवल इसलिए देश से बाहर जाने को नहीं कहा जाना चाहिए कि वह दूसरे देश की नागरिक है। इसके साथ ही अदालत ने भारतीय पति से तलाक के बाद रूसी महिला को देश छोड़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए निकास परमिट पर नाराजगी जाहिर की।
38 वर्षीया रूसी महिला ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसने एक अन्य भारतीय व्यक्ति से दोबारा शादी की है और उससे उसकी छह महीने की बेटी है। महिला का पिछले पति से एक नाबालिग बेटा है। न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि एक महिला, जो अभी भी अपने बच्चे को दूध पिला रही है, को उसकी राष्ट्रीयता के कारण अलग नहीं किया जाना चाहिए।
इसने कहा कि अधिकारियों को विशेष परिस्थितियों पर विचार करते हुए मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था और कहा, ‘शासन का यह विचार कि सभी नागरिकों को संदिग्ध माना जाना चाहिए, उचित नहीं है।’
न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘बस सही, समझदार बनें और महिला और उसके बच्चे के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं। राष्ट्रीयताओं को इसके रास्ते में न आने दें। हम एक मिनट के लिए भी अलगाव की अनुमति नहीं देंगे। आपके तर्क में कुछ भी दम नहीं है।’ केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर स्थानीय पुलिस ने जनवरी 2023 में महिला को निकास परमिट जारी किया। उन्हें मार्च तक देश छोड़ने को कहा गया था।