तेहरान
हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बाद देशभर में की गई गिरफ़्तारियों के महीनों बाद, ईरान ने देश में हिजाब के नियम को अनिवार्य करने के लिए अपने प्रयासों के लिए 'मॉरैलिटी पुलिस' द्वारा निगरानी फिर सख्त कर दी है, अल जजीरा ने यह खबर दी है.
सईद मोंटेज़ेरलमहदी, ईरानी कानून प्रवर्तन बल के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि जो लोग इस्लामिक रिपब्लिक में कवर करना (खुद को ढंकना) उचित नहीं मान रहे हैं, उन पर नकेल कसने के लिए पुलिस की गश्त अब पैदल और वाहनों से शुरू की गई है.
अल जजीरा ने राज्य मीडिया से मोंटेज़ेरलमहदी के बयान का हवाला देते हुए बताया है कि जिसमें कहा गया है कि मोरैलिटी पुलिस “चेतावनियां जारी करे और फिर उन लोगों को न्यायिक प्रणाली से परिचित कराए जो दुर्भाग्य से अपने नॉर्म-तोड़ने वाले व्यवहार में लगे हुए हैं, बिना इस परिणामों के बारे में फिक्र किए कि यह नियम के खिलाफ होगा. उन्होंने कहा, पुलिस उम्मीद करती है कि हर कोई स्वीकृत ड्रेस कोड के अनुरूप होगा, ताकि अधिकारियों को “बाकी अहम पुलिस मिशनों” से निपटने के लिए अधिक समय मिल सके.”
अधिकारियों को महिलाओं – और कभी-कभी पुरुषों – को उनके ठीक से कपड़े पहनने के तरीके को लेकर चेतावनी देने का काम सौंपा गया है.
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें महिलाओं को हेडस्कार्फ़ सही करने का ऑर्डर देने से लेकर कपड़े चेंज करने की मांग तक शामिल हो सकती है जो काफी ढीला-ढाला और उचित तरीके से होना चाहिए. जो महिला इस नियम को तोड़ते हुए पाई गई गिरफ्तार की जा सकती है व और पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ‘तथाकथित’ फिर शिक्षा सुविधा के लिए (सुधार शिक्षा) लाई जा सकती है.
खासतौर से, यह घटनाक्रम 22 वर्षीय महसा अमिनी के कथित ड्रेस कोड के उल्लंघन के आरोप में पुलिस हिरासत में उसकी मौत के 10 महीने बाद सामने आया है.
उसकी मौत की वजह से देशभर में बड़े पैमाने पर लोगों ने प्रदर्शन किया था, जो महीनों तक चला जिसमें मौरैलिटी पुलिस ईरानी सड़कों से काफी हद तक नदारद रही थी. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रदर्शन के बाद ईरानी अधिकारियों ने अनिवार्य हिजाब कानूनों को लागू करने के अत्यधिक टकराव वाले तरीकों से काफी हद तक परहेज किया था, जो देश के 1979 की इस्लामिक क्रांति के तुरंत बाद लागू किया गया था.
हालांकि, वह नजरिया अब धीरे-धीरे बदलता दिख रहा है.
पुलिस सर्विलांस कैमरा लगाकर कर रही निगरानी
पिछले कुछ महीनों से, पुलिस हिजाब का उल्लंघन करने वालों की पहचान के लिए सर्विालांस कैमरे लगा रही है. जिसके तहत चेतावनी दी जाती है, जुर्माना लगाया जाता है या कोर्ट में पेश होने को कहा जाता है. जो लोग अपने वाहनों में ड्रेस कोड का उल्लंघन करते पाए गए, उनकी कारें जब्त की जा सकती हैं.
अल जजीरा के मुताबिक, कई कैफे, रेस्तरां, और यहां तक कि बड़े शॉपिंग सेंटर्स समेत व्यवसायों को भी तेजी से निशाना बनाया गया है, ढीली हिजाब वाली महिलाओं को सर्विस देने पर उन्हें रोक का सामना करना पड़ रहा है.
अल जजीर ने बताया है कि इस सप्ताह हिजाब से जुड़ी कई हाई प्रोफाइल घटनाएं हुई हैं.
अधिकारियों ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें एक कैमरा क्रू के साथ पुलिस अधिकारियों के समूह को दिखाया गया है, जो घूम-घूमकर हर उम्र की महिलाओं को अपना हिजाब ठीक करने के लिए कह रही है. कैमरा बिना महिलाओं चेहरों को ब्लर किए ज़ूम करता है और एक एनीमेशन दिखाता है कि इनकी पहचान कर ली गई है और उन्हें न्यायपालिका के पास भेज दिया गया है.
अल जजीरा की खबर के मुताबिक, “या तो आप हिजाब ठीक कीजिए, वरना वैन में आ आइए” एक आदमी, जिसकी आवाज़ डिजिटली बिगाड़ी गई है, वीडियो में एक युवा महिला से कहता नजर आता है. “अगर आप आज़ादी को मानते हैं तो मैं सभी चोरों और बलात्करियों को फ्री छोड़ दूंगा ताकि आप जान सकें चीजें कैसे काम करती हैं.”
एक अन्य घटना रविवार को हुई जब अभिनेता मोहम्मद सादेघी को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने एक दिन पहले, वह एक अन्य क्लिप का जवाब देते हैं जिसमें एक महिला अधिकारी को हिजाब पहने हुए एक महिला को दीवार के सामने पकड़े हुए दिखाया गया है, उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया करते हुए वीडियो जारी किया था.
अल जजीरा ने राज्य मीडिया के हवाले से खबर दी, जिसमें उन्होंने कहा “अगर मैं ऐसा दृश्य प्रत्यक्ष देखूं तो मैं शायद हत्या कर दूं. सतर्क रहें आपके लिए यकीन करना बेहतर होगा कि, लोग आपको मार डालेंगे.” उन्होंने कहा था, इसे “पुलिस को धमकी देने” माना गया, जिससे उनकी गिरफ्तारी हुई.
इससे पहले इस सप्ताह, अभिनेत्री अज़देह समदी को मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर बैन की 6 महीने की सजा सुनाई गई थी और अदालत द्वारा उसे “असामाजिक व्यक्तित्व बीमारी” से ठीक करने के लिए अनिवार्य चिकित्सा देने को कहा था.
ऐसा तब हुआ जब उन्होंने मई में एक थिएटर निर्देशक के अंतिम संस्कार में बिना हेडस्कार्फ़ के हिस्सा लिया था.
समदी को उन अभिनेत्रियों के समूह में शामिल हो गईं जिन्हें हाल के महीनों में सार्वजनिक रूप से या ऑनलाइन तस्वीरों में हेडस्कार्फ़ न पहनने पर सज़ा दी गई है.
इस बीच, सरकार और संसद हिजाब नियंत्रण को मजबूत करने के मकसद से कानून पर काम कर रही है, लेकिन यह विधेयक रूढ़िवादी विरोधियों के निशाने पर आ गया है, जिनका तर्क है कि यह बहुत उदार है. अल जजीरा ने यह खबर दी है.
क्या है मोरैलिटी पुलिस
मोरैलिटी पुलिस को गश्त-ए इरशाद के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है इस्लामी मार्गदर्शन गश्ती. इसकी स्थापना 15 वर्ष से भी पहले हुई थी.
ईरानी प्रतिष्ठान ने पहले अपने अनिवार्य हिजाब नियमों को लागू करने के लिए इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) या अन्य बलों के जरिए कई गश्ती दल नियुक्त किये थे, जिन्हें बाद में कानून प्रवर्तन बल में विलय कर दिया गया था.
मोरैलिटी पुलिस हरी धारियों वाली सफेद वैन का इस्तेमाल करती है और अक्सर उन जगहों पर तैनात की जाती है जहां पैदल यात्री अक्सर आते हैं या युवा लोग इकट्ठा होते हैं.
इस बल में पुरुषों और महिलाओं को नौकरी पर रखा जाता है. अक्सर इसमें महिलाओं की उपस्थिति ही बाकी महिलाओं को नियमों का पालन करने के लिए अपने हेडस्कार्फ़ व्यवस्थित रखने के लिए प्रेरित करती है.
अधिकारी मौखिक चेतावनी जारी करके देश के ड्रेस कोड को लागू करते हैं, लेकिन कभी-कभी हिरासत में ले लिया जाता है.
बंदियों को एक केंद्र में लाया जाता है जहां उन्हें उचित ड्रेस कोड पर घंटों तक “फिर शिक्षित” किया जाता है. फिर उनसे अपराध न दोहराने की शपथ लेने वाले दस्तावेज़ों पर करवाया जाता है. इसके बाद परिवार के सदस्यों को उन्हें ले जाने के लिए बुलाया जाता है.
महिला एक्टिविस्टों ने किया था विरोध
पिछले कुछ वर्षों में, अनिवार्य नियमों का सार्वजनिक रूप से विरोध करने वाली कई महिला एक्टिविस्टों को भी गिरफ्तार किया गया है और जेल में डाला गया है.
लेकिन यह विरोध-प्रदर्शन टकराव लेने वाला रहा है. विरोध प्रदर्शन को कमजोर करने के प्रयास में, अधिकारियों ने तेहरान और कुर्दिस्तान में इंटरनेट के इस्तेमाल पर बड़े स्तर पर प्रतिबंधित लगा दिया था. साथ ही किसी तरह का सेंसर न होने के बावजूद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को भी ब्लॉक कर दिया गया था.
वहीं महिलाओं के इस विरोध के खिलाफ ईरान के अधिकारियों ने प्रदर्शन किया था और धार्मिक ड्रेस कोड को बढ़ावा देने की मांग की थी. इस प्रदर्शन का मकसद “हालिया मानदंड-तोड़ने वाला व्यवहार” का विरोध करना था.