नेमावर
नेमावर टीआई राजाराम वास्कले का आज अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ नर्मदा किनारे किया गया। उनके पार्थिव देह को उनके पैतृक ग्राम कुहिडिया थाना अंजड़ जिला बड़वानी लाया गया। जहां पर उनकी पार्थिव देह को घर पर सलामी दी, इस दौरान पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अफसर मौजूद थे। उनके अंतिम संस्कार में सरकार की ओर से मंत्री प्रेम सिंह पटेल भी पहुंचे।
इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से चर्चा करते हुए राजाराम के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उनके परिवार को एक करोड़ रुपए की सम्मान निधि दी जाएगी। सीएम ने कहा कि वे राजाराम कर्तव्यनिष्ठ अफसर थे। उन्होंने बलिदान दिया है। वे हमारे बहादुर साथी थे। उनके दो बच्चे हैं, बेटा चार साल का है और बेटी दो महीने की है। उनके परिवार की जिम्मेदारी अब हमारी जिम्मेदारी है। गौरतलब है कि रविवार को नेमावर टीआई को जामनेर नदी में एक व्यक्ति के डूबने की सूचना दी गई थी। जब टीआई वहां पहुंचे तो जामनेर नदी पर बने डेम में शव तैरता देख टीआई खुद नदी में कूद गए, लेकिन नदी के तेज वहाव में डूबने से उनकी मौत हो गई।
प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने नेमावर टीआई राजाराम वास्कले को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि जनहित में अपने प्राण गंवाने वाले की शहादत को नमन करता हूं। उन्होंने अपनी जीवटता और कर्तव्य से खाकी का मान बढ़ाया। अंतिम सांस तक उन्होंने जनहित के लिए अपना कर्तव्य निभाया। नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने एक करोड़ रुपये की राशि परिजनों को देने की घोषणा की है। परिवार को नौकरी और बच्चों की पढ़ाई का भी सरकार ध्यान रखेगी।
बता दें कि कल रविवार दोपहर जामनेर नदी के स्टॉप डेम में एक लाश मिलने की सूचना मिली थी। सूचना पर टीआई राजाराम वास्कले टीम के साथ पहुंचे थे। शव को बाहर निकालने के लिए टीआई और अन्य एक साथी नदी में उतरे। उन्होंने शव को पकड़ भी लिया था, लेकिन गहरा ज्यादा और बहाव तेज होने के कारण वे डूब गए। नदी किनारे मौजूद स्टाप और गोताखोरों ने रस्सी के सहारे किसी तरह बाहर निकाले, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उन्हें तत्काल इलाज के लिए नेमावर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहां से हरदा अस्पताल रेफर किया गया।
हरदा अस्पताल के डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर से पूरे पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी सख्या में विभिन्न थानों के थानेदार और अधिकारी अस्पताल पहुंचे। राजाराम मूल रूप से बड़वानी जिले के रहने वाले थे। वे देवास जिले में कई साल से पदस्थ थे और अलग-अलग थाना क्षेत्रों में तैनात रहे।