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देवी मंदिरों में जीत की कामना लेकर प्रत्याशी स्थापित कर रहे मनोकामना कलश, राशि के हिसाब से पहन रहे कपड़े

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रायपुर। महासमर के मैदान में उतरे नेता चुनाव जीतने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जनसंपर्क, सभाओं और पार्टी के घोषणापत्रों के सहारे वोट जुटाने के साथ ही भाग्य जगाने के लिए मंदिरों-मठों में भी आशीर्वाद ले रहे। अब नवरात्र में नेताओं ने देवी मां को खुश करने की जुगत शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख देवी मंदिरों में प्रत्याशियों की ओर से मनोकामना कलश की प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगी। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशी शामिल हैं। पार्टियों के बड़े नेताओं के नाम का भी मनोकामना कलश स्थापित कराया जा रहा है। भाजपा की ओर से बिलासपुर स्थित बैमा नगोई के मां महामाया मंदिर में कलश स्थापित कराया गया है। जबकि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के नाम का मनोकामना कलश रतनपुर महामाया मंदिर में स्थापित किया गया है। नेताओं के मनोकामना कलश पर प्रतिष्ठित अखंड ज्योति पूरे नवरात्र जलेगी। अखंड ज्योति रखवाने वाले नेताओं ने मंदिरों को ढाई हजार रुपये से लेकर पचास हजार-एक लाख रुपये तक दान किए हैं। मंदिरों के पुजारी व प्रबंधकों का कहना है कि कलश स्थापना के लिए किसी पर कोई दबाव नहीं होता। श्रद्धालु अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार देवी के चरणों में जो धनराशि अर्पित करते हैं उसे मंदिर के विस्तार, जीर्णोद्धार और अन्य व्यस्थाओं पर खर्च किया जाता है। राशि के हिसाब से पहन रहे कपड़े व अंगूठी शक्ति पीठों में प्रत्याशियों द्वारा गुप्त नाम से भी जोत स्थापित करवाए जा रहे हैं। दुर्ग शहर के चंडी मंदिर, सती चौरा, सतरुपा शीतला मंदिर, बैगापारा शीतला मंदिर, महामाया मंदिर कुम्हारी, छोटी बम्लेश्वरी सेक्टर-6 व शीतला मंदिर सुपेला में नवरात्रि पर जोत की स्थापना होती है। इन स्थानों पर प्रत्याशियों व उनके समर्थकों द्वारा अपनी जीत की कामना को लेकर जोत स्थापित कराने रुपये भी छोड़ दिए हैं। गुप्त नाम होने की वजह से मंदिर समितियों व ट्रस्टों द्वारा उनके नामों का खुलासा भी नहीं किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में यह भी देखने को मिल रहा है कि कई प्रत्याशी नामांकन के दौरान राशि के हिसाब से वस्त्र धारण कर रहे हैं। इसमें कलर का भी ध्यान रखा जा रहा है। राशि रत्नों से जड़ित अंगूठियां भी हाथों में देखने को मिल रही है। जेब में पेन भी टोटके के हिसाब से रखे जा रहे हैं। इतना ही नहीं प्रचार के लिए घर से सुबह निकलते समय दिशा का ध्यान रखा जा रहा है। कुछ लोग मंदिर में पूजा अर्चना कर चुनावी बैठकों में शामिल होने निकल रहे हैं तो वहीं कुछ लोग अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर दुर्ग फतह करने सियासी मैदान में पहुंच रहे हैं।