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धरती के करीब आया शनि ग्रह, कब देख सकेंगे छल्ले? बीएचयू के वैज्ञानिकों ने बताई महत्वपूर्ण बात

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लखनऊ

सौरमंडल का छठवां और अपने वलयों से सबसे अलग दिखने वाला शनि ग्रह पृथ्वी के करीब आ रहा है। अगस्त महीने में यह यह खुली आंखों से पहचाना जा सकेगा और सामान्य टेलीस्कोप से भी इसके वलयों को देखा जा सकेगा। बीएचयू के वैज्ञानिकों के साथ खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले छात्र इस खगोलीय घटना के अध्ययन को लेकर उत्साहित हैं। शनि ग्रह को लेकर बीचएयू के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण बात भी बताई है।

पृथ्वी से लगभग 1.2 खरब किमी की दूरी पर स्थित शनि ग्रह पृथ्वी के करीब पहुंच चुका है। बीएचयू के वैज्ञानिक डॉ. अभय कुमार इसका कारण बताते हैं। उन्होंने बताया कि लगभग एक साल 13 दिन में यह मौका आता है जब शनि ग्रह और पृथ्वी एक दूसरे के नजदीक पहुंच जाते हैं। ऐसे में चमकते हुए शनि के छल्लों को पृथ्वी से देखा जा सकता है। इस साल 25 से 27 अगस्त के बीच भोर के समय शनि ग्रह को देखा जा सकेगा। डॉ. अभय कुमार ने बताया कि साल में एक बार होने वाली इस खगोलीय घटना के अध्ययन की तैयारी की जा रही है। दूसरी तरफ, बनारस का एस्ट्रोब्वॉय वेदांत भी अपने टेलीस्कोप कैमरे की मदद से शनि ग्रह की तस्वीरें लेने की तैयारियों में लगा हुआ है। उसने बताया कि साल के इस समय शनि की दूरी पृथ्वी से एक अरब किमी से भी कम हो जाती है।

इसलिए करीब आ जाते हैं ग्रह

पृथ्वी और शनि के करीब आने का कारण सूर्य की परिक्रमा है। सौरमंडल में सभी ग्रह अपनी कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा का यह पथ वृत्ताकार न होकर अंडाकार होता है। 378 दिन में एक समय ऐसा आता है जब कक्षा में विचरण के दौरान दोनों ग्रह करीब आ जाते हैं। जबकि सूर्य की एक परिक्रमा में पृथ्वी को एक साल और शनि को 29.5 साल का समय लगता है।

गैस और धूल से बने हैं शनि के छल्ले

शनि ग्रह के छल्ले दरअसल ठंडी गैसों के साथ धूल के कण हैं। वैज्ञानिकों ने इसपर कई तरह के रिसर्च किए हैं। जांच इसपर भी हो रही है कि क्या इन छल्लों में पानी भी है। हालांकि एक अध्ययन में यह तथ्य भी सामने आया है कि शनि के छल्ले कम हो रहे हैं और अगले 30 करोड़ वर्षों में यह खत्म हो जाएंगे।