नई दिल्ली
2024 में होने वाले आम चुनाव के पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की टीम इस बार जोखिम नहीं लेना चाहती है। हिमाचल और कर्नाटक में मिली हार से भाजपा सतर्क हो गई है। इसीलिए पार्टी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। विधानसभा के पिछले चुनावों में शिवराज सिंह चौहान का ही चेहरा सामने किया जाता था, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़े जाने की पूरी संभावना है।
2024 में होने वाले आम चुनाव के पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की टीम इस बार जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसी रणनीति से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में संगठन व सरकार में फिलहाल कोई परिवर्तन का निर्णय नहीं लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का सरल सहज स्वभाव, आम जनता के बीच घुलना मिलना उनका ट्रंप कार्ड रहा है। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा पर संघ का सीधा वरदहस्त है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा के लिए चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाना प्रदेश भाजपा में टिकट को लेकर होने वाली संभावित खींचतान को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया सक्रिय कदम है। पिछले दिनों ही भूपेंद्र यादव और अश्वनी वैष्णव को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रभारी और सह प्रभारी की भूमिका सौंपी गई है।
दिग्गज नेताओं ने डेरा डाला
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर अंतिम समय में गहमागहमी और खींचतान हुई थी। उसी के चलते चुनाव परिणाम पर असर पड़ा था। इस बार पूरा प्रयास होगा कि उस गलती को न दोहराया जाए और उसी गोलबंदी के लिए भूपेंद्र यादव, अश्वनी वैष्णव और नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश में बड़ा दायित्व सौंपा गया है। भूपेंद्र यादव और अश्वनी वैष्णव आज से भोपाल में डेरा डाल चुके हैं। वे यहां पर होने वाली हर राजनीतिक गतिविधि का साप्ताहिक ब्योरा लेते रहेंगे। उन्होंने आते ही चुनावी टीम की घोषणा कर दी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, संगठन मंत्री हितानंद के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र को शामिल किया गया है।
गुटबाजी बढ़ाने के पक्ष में नहीं
सूत्रों के अनुसार, शिवराज चौहान और वीडी शर्मा जमीनी तौर पर प्रदेश में कार्य करेंगे पर इस बार भूमिका सीमित रहेगी। मध्य प्रदेश भाजपा के नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश में चुनावों के कुछ महीने पहले सीएम बदलकर किसी भी प्रकार को गुटबाजी बढ़ाने के पक्ष में नहीं था।
विंध्य क्षेत्र पर फोकस
नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में बदलाव की सुगबुगाहट के बीच पूरी संभावना है कि मध्य प्रदेश के कम से कम दो नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिले। यह नेता मालवा निमाड़ और विंध्य क्षेत्र के हो सकते हैं। इस बार प्रदेश भाजपा का भी फोकस विंध्य क्षेत्र पर थोड़ा अधिक होगा। पिछले चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने पैठ बना ली थी, जिससे चुनाव के तुरंत बाद भाजपा सरकार नहीं बना सकी थी। इस बार शुरू से ही अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष योजनाएं और विशेष कार्यक्रम जारी किए गए हैं और केंद्रीय नेतृत्व भी विंध्य और महाकौशल का दौरा कर चुका है व आगे भी ऐसे दौरे पाइप लाइन में हैं।