-तिरंगी रोशनी के साथ मोदी का चित्र लगाकर लिखा स्वागत संदेश
दुबई
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रांस की यात्रा पूरा कर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंच गए हैं। मोदी की यूएई यात्रा पर दुबई का प्रसिद्ध टॉवर बुर्ज खलीफा भारत के रंग में रंगा नजर आया। बुर्ज खलीफा पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तो दिखा ही, प्रधानमंत्री मोदी का चित्र लगाकर उनके लिए स्वागत संदेश भी लिखा गया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी दो दिवसीय फ्रांस की यात्रा समाप्त कर एक दिन की यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे हैं। अबू धाबी हवाईअड्डे पहुंच कर क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भारत के प्रधानमंत्री की अगवानी की। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर इस स्वागत के लिए क्राउन प्रिंस का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के रिश्तों को और मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि उनकी इस यात्रा के बाद रिश्तों की गहराई बढ़ेगी।
उधर, संयुक्त अरब अमीरात में भी प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को लेकर उत्साह है। दुनिया भर में चर्चित दुबई का प्रमुख टॉवर बुर्ज खलीफा मोदी के स्वागत में भारतीय तिरंगे के रंग में रंगा दिखा। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रंग प्रदर्शित करने के साथ ही बुर्ज खलीफा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर भी जगमग रोशनी के साथ प्रदर्शित की गयी। साथ ही रोशनी से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर को भी प्रदर्शित किया गया। भारतीय प्रधानमंत्री के स्वागत में प्रकाशपुंजों का प्रयोग कर वेलकम ऑनरेबल प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी (माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत है) लिखा गया।
रूस के सशस्त्र बल नॉर्थ इंटरेक्शन-2023 सैन्य अभ्यास में लेंगे भाग
बीजिंग
रूस के सशस्त्र बल निकट भविष्य में जापान सागर में चीन द्वारा आयोजित नॉर्थ इंटरेक्शन-2023 सैन्य अभ्यास में भाग लेंगे। चीनी रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी।
रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि रूस और चीन के सशस्त्र बलों के बीच सहयोग की वार्षिक योजना के अनुसार, रूसी सेना जल्द ही जापान सागर के मध्य भाग में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के उत्तरी थिएटर कमांड द्वारा आयोजित 'नॉर्थ इंटरेक्शन-2023' में भाग लेने के लिए नौसेना और वायु सेना को भेजेगी।
मंत्रालय ने बताया कि यह अभ्यास रणनीतिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चीनी और रूसी सेनाओं के बीच रणनीतिक बातचीत में सुधार करना, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने की क्षमता को मजबूत करना और सुरक्षा के क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों का जवाब देना है।