नई दिल्ली
भारत की चांद पर पहुंचने की तीसरी कोशिश चंद्रयान-3 अपने सफल प्रक्षेपण के बाद अब तक तय कार्यक्रम के अनुसार चल रही है। इसको लेकर भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में उत्सुकता देखी जा रही है। इसका एक कारण यह भी है कि चंद्रयान-2 मंजिल के बहुत करीब पहुंच कर पूर्ण सफलता से चूक गया था। इसके चार साल के भीतर ही इसरो ने इस चूक से सबक लेकर फिर से धरती के उपग्रह पर उतरने की कोशिश की है। आइए जानते है कि यह मिशन चंद्रयान-2 से कितना अलग है…
फेल्योर बेस्ड मॉडल से की तैयारी
इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 को लेकर की गई तैयारियां चंद्रयान-2 से उलट हैं। इसमें इन चीजों का ध्यान रखा गया है कि किन-किन स्थितियों में क्या-क्या चीजें गड़बड़ हो सकती हैं। ऐसी आशंकाओं को सामने रखते हुए सारी तैयारियां की गई हैं। इसे फेल्योर बेस्ड मॉडल कहा जा रहा है। वहीं, चंद्रयान-2 में चंद्रमा की कक्षा में ऑर्बिटर की स्थापना करनी थी, जो इस बार नहीं करना है। ऑर्बिटर 2019 में वहां स्थापित किया गया था जो आज भी वहां मौजूद है। चंद्रयान-3 की सफलता में उसकी भी एक अहम भूमिका होगी।
साफ्ट लैडिंग के लिए पहले से बड़ा इलाका चुना गया
इस मिशन की साफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो ने चांद की सतह पर पहले से ज्यादा बड़ा इलाका चुना है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने इस काम में अहम भूमिका निभाई है। आर्बिटर चार सालों से लैंडिंग के लिए मुफीद इलाके की तस्वीरें उपलब्ध करा रहा है। इन्ही तस्वीरों के आधार पर साफ्ट लैडिंग वाली जगह का चुनाव किया गया है।
चट्टानों से मुकाबला कर सकेगा लैंडर
चंद्रयान -3 के लैंडर की बनावट ऐसी है कि उसका एक पाया दो मीटर ऊंची चट्टान पर पड़ जाए, तो भी वह असंतुलित नहीं होगा। वहीं, सतह पर सॉफ्ट लैंडिग दौरान रफ्तार नियंत्रित रखने के लिए लैंडर के चारों कोनों पर चार रॉकेट लगाए गए हैं।। यह रॉकेट इसकी रफ्तार को पांच हजार मील प्रति घंटा से घटाकर लगभग शून्य गति पर लाकर सतह पर उतारेंगे।
चांद पर नए मिशनों की खोलेगा राह
चंद्रयान-3 की सफलता से भारत न सिर्फ चांद पर पहुंचने वाले दुनिया के शीर्ष चार देशों में शामिल हो जाएगा, बल्कि इससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को भी नई दिशा मिलेगी। अंतरिक्ष में गगनयान के जरिये इंसानों को भेजने और चंद्रमा पर अगला मिशन भेजने का रास्ता भी इससे साफ होगा। तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गगनयान को अगले साल अंतरिक्ष में भेजा जाना प्रस्तावित है। शुक्रवार को चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण के बाद अगले 45 दिनों के भीतर इससे अलग होकर एक रोवर प्रज्ञान चांद पर पहुंचेगा, जो चंद्रसतह का विश्लेषण कर आंकड़े इसरो को भेजेगा। इस मिशन के जरिये भारत का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर उतरना है तथा रोवर को वहां घुमाना है। बता दें कि चंद्रयान-1 के जरिये भारत चांद के ऊपर पहुंचा था।
सफल होने पर बढ़ेगा अगला कदम
वैज्ञानिकों के अनुसार यह मिशन अगर सफल रहता है तो भारत चांद पर अगला कदम भी बढ़ाएगा। अगले कदम के रूप में चांद पर रोवर को उतारकर उसे वापस धरती पर लाना होगा। दरअसल, अभी यह मिशन एकतरफा है। यह चांद तक पहुंचने का मिशन है। इसमें वापसी नहीं है। चांद पर पहुंचकर और फिर वापस धरती पर लौटना इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है। जो निश्चित रूप से भारत का अगला कदम होगा।