नई दिल्ली
चंद्रयान-3 के आज प्रस्तावित प्रक्षेपण के साथ भारत चंद्रमा की ओर तीसरी बार कदम बढ़ाएगा। इस मिशन के तहत लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को उतारा जा सकता है। इसमें मिली सफलता भारत को विश्व में चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति का रुतबा देगी। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा पर अपने यान की सॉफ्ट-लैंडिंग करा सके हैं।
चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर भी शामिल था
इस समय इसरो के वैज्ञानिक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर सभी तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं। मंगलवार को प्रक्षेपण को लेकर पूर्वाभ्यास किया गया। भारत इससे पहले चांद पर चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन में ऑर्बिटल मिशन भेज चुका है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर भी शामिल था, जो चंद्रमा पर सुरक्षित उतरने में सफल नहीं हुआ था। इस बार चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर विक्रम और इसके भीतर रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा पर उतारा जा रहा है। यह 14 जुलाई को रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम 3) के जरिये पृथ्वी से प्रक्षेपित हो रहा है।
पृथ्वी की 5 से 6 परिक्रमा करेगा चंद्रयान-3
प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की 5 से 6 दीर्घ वृत्ताकार परिक्रमाएं करेगा। इस दौरान यह पृथ्वी से 170 किमी तक निकट और 36,500 किमी तक दूर जाएगा। इससे वह वेग हासिल करेगा जो उसे अगले करीब 1 महीने की यात्रा के लिए जरूरी है। वह चंद्रमा की 100 किमी ऊंची कक्षा तक पहुंचेगा। चंद्रमा पर भी दीर्घ वृत्ताकार परिक्रमाएं करने के बाद एक निर्धारित स्थिति हासिल करेगा। इसके बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
मिशन 10 चरणों में बंटा
पहला चरण पृथ्वी आधारित है। इसमें प्रक्षेपण पूर्व तैयारियां, प्रक्षेपण व उदय और पृथ्वी से जुड़े यान का स्थान परिवर्तन होंगे।
दूसरा चरण चंद्रमा की ओर स्थानांतरण का है। इसमें चंद्रमा के प्रक्षेप-पथ की ओर यान का स्थानांतरण होगा।
अगले सात चरण चंद्रमा आधारित हैं। इनमें चंद्रमा के परिक्रमा पथ में प्रवेश (एलओआई), चंद्रमा से जुड़ा यान का स्थान परिवर्तन, पीएम और चंद्रमा पर उतारने को बनाए मॉड्यूल का अलग होना, डी-बूस्ट यानी मॉड्यूल की गति घटाना, प्री-लैंडिंग, लैंडिंग, लैंडर व रोवर के सामान्य चरण शामिल हैं।
दसवां और आखिरी चरण प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा चंद्रमा आधारित सामान्य परिक्रमा का है। उल्लेखनीय है कि इस मिशन में ऑर्बिटर नहीं भेजा गया है, लेकिन पीएम चंद्रमा से 100 किमी ऊंचाई पर एक कक्षा में रह कर अपने उपकरण शेप (स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेटरी अर्थ) से हमारी पृथ्वी का पर्यवेक्षण करेगा। उसी तरह जैसे हम पृथ्वी से दूसरे ग्रहों को देखते हैं। इससे जो डाटा मिलेगा वह हमें पृथ्वी और दूसरे ग्रहों के अध्ययन के लिए नये अनुभव देगा। ऐसे ग्रहों की पहचान में मदद मिल सकेगी जहां जीवन संभव है।
16 मिनट बाद अलग होगा प्रोपल्शन मॉड्यूल
पृथ्वी से प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद मिशन का प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) अपने भीतर मौजूद चंद्रयान-3 सहित रॉकेट से अलग हो जाएगा। आगे यही मॉड्यूल चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। वह चांद की सतह पर लैंडर को उतारने के लिए चंद्र परिक्रमा पथ पर पहुंचेगा और लैंडर को अपने से अलग करेगा।
रोचक तथ्य
प्रक्षेपण 14 जुलाई को ही क्यों?: साल के इस समय पृथ्वी व चंद्रमा बाकी समय की तुलना में करीब होंगे। चंद्रयान-2 भी इसी वजह से 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित हुआ था।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतर रहा चंद्रयान-3: भारत के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारने का निर्णय लिया है क्योंकि यहां उत्तरी ध्रुव के मुकाबले पानी मिलने की ज्यादा संभावना है।
सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग (safe and soft landing)
चंद्रयान -3 का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग (safe and soft landing) करना है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग हासिल करने में भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है।
रोवर एक्सप्लोरेशन (Rover Exploration)
चंद्रयान-3 चंद्रमा पर घूमने और एक्सप्लोर करने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रमा की सतह पर एक रोवर तैनात करेगा। रोवर इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग (in-situ scientific experiments) करेगा और चंद्र पर्यावरण (lunar environment) के बारे में बहुमूल्य डेटा एकत्र करेगा।
in-situ साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स (In-situ Scientific Experiments)
चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर in-situ साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स करना है। ये प्रयोग चंद्रमा की सतह की संरचना (composition), भूवैज्ञानिक विशेषताओं (geological features) और अन्य विशेषताओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
प्रौद्योगिकी प्रगति (Technological Advancements)
चंद्रयान-3 को अंतरग्रहीय मिशनों (interplanetary missions) के लिए आवश्यक नई तकनीकों को विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अंतरिक्ष यान इंजीनियरिंग, लैंडिंग सिस्टम और खगोलीय पिंडों (celestial bodies) पर गतिशीलता और क्षमताओं में प्रगति में मदद करेगा।
चंद्र दक्षिणी ध्रुव की खोज
चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (lunar South Pole) पर उतरने वाला पहला मिशन होगा। यह क्षेत्र अपने स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों के कारण विशेष रुचि रखता है, जहां पानी की बर्फ के होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य इस अज्ञात क्षेत्र की अद्वितीय भूविज्ञान और संरचना (unique geology and composition) का अध्ययन करना है।
लैंडिंग साइट की विशेषता
तापीय चालकता (thermal conductivity) और रेजोलिथ गुणों (regolith properties) जैसे कारकों सहित, चंद्र दक्षिणी ध्रुव के पर्यावरण का विश्लेषण करके, चंद्रयान -3 लैंडिंग साइट (Chandrayaan-3 landing site) का पता लगाने में मदद करेगा। यह जानकारी भविष्य के चंद्र मिशनों और संभावित मानव अन्वेषण (human exploration) के लिए महत्वपूर्ण होगी।
वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग (Global Scientific Collaboration)
चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज (exploration of the lunar South Pole) से प्राप्त किया गया डेटा और निष्कर्ष वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय (global scientific community) के लिए काफी रुचि वाले और प्रासंगिक साबित होंगे। दुनिया भर के वैज्ञानिक चंद्रमा की भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं (Moon’s geological processes) और उसके इतिहास की गहरी समझ हासिल करने के लिए परिणामों का विश्लेषण और अध्ययन करेंगे।
आर्टेमिस-III मिशन के लिए समर्थन
चंद्रयान-3 द्वारा दक्षिणी ध्रुव की खोज संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में आर्टेमिस-III मिशन (Artemis-III mission) के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मनुष्यों को उतारना है। चंद्रयान-3 द्वारा एकत्र किया गया डेटा भविष्य के आर्टेमिस मिशनों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि और समर्थन प्रदान करेगा।
अंतरिक्ष यात्रा की महत्वाकांक्षाओं में प्रगति
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग भारत की तकनीकी कौशल और स्पेस एक्सप्लोरेशन (space exploration) की महत्वाकांक्षी खोज को प्रदर्शित करेगी। चंद्रयान-3 पृथ्वी से परे मानव उपस्थिति का विस्तार करने और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए मार्ग प्रशस्त करने के व्यापक लक्ष्यों में योगदान देगा।
चंद्र अन्वेषण की निरंतरता (Continuation of Lunar Exploration)
चंद्रयान-3 चंद्र अन्वेषण (lunar exploration) के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता और चंद्रमा के बारे में मानवता के ज्ञान के विस्तार में इसके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है। पिछले चंद्र अभियानों की सफलताओं के आधार पर, यह प्रयास वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
चंद्रयान-3 मिशन क्या है?
चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में किए गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है। इस मिशन में लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को सतह पर चलाकर देखा जाएगा। जिसके माध्यम से जानकारी एकत्र की जाएगी।
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में क्या अंतर है?
चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था। जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल है। जरुरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा। यह कम्यूनिकेशन के लिए होगा।