नई दिल्ली
मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी जे.एस. चौहान ने कहा कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नर चीता ‘तेजस' की मौत का कारण ट्रॉमेटिक शॉक है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार चौहान ने बताया कि 11 जुलाई को मृत पाए गए तेजस का शव परीक्षण 12 जुलाई को चीता परियोजना में तैनात तीन वन्य प्राणी चिकित्सकों तथा स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एण्ड हेल्थ, जबलपुर के विशेषज्ञ तथा वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल के वरिष्ठ वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा पालपुर स्थित वाइल्ड लाइफ हॉस्पिटल में किया गया।
चौहान ने बताया कि शव परीक्षण के दौरान चीता का वजन 43 कि.ग्रा. पाया गया जो कि सामान्य नर चीता के औसत वजन से कम है। बाहरी तौर पर चीता के गर्दन पर घाव के निशान थे जो ज्यादा गहरे न होकर केवल बाह्य त्वचा तक सीमित थे। इसमें कोई पंक्चर वुड भी नहीं पाया गया। आंतरिक परीक्षण के दौरान चीता के फेफड़े, हृदय, तिल्ली एवं गुर्दे सामान्य नहीं पाए गए। हृदय के एरोटा तथा ओरिकल में चिकन फैट का जमाव तथा जमा हुआ रक्त भी पाया गया।
गुर्दे पल्पी होने के साथ-साथ कोट्रेक्स एवं मेडुला में डेमाकेर्शन नहीं पाया, तिल्ली में एम्फाइसिमा एवं सफेद रंग के नोड्यूल पाए गए। शव परीक्षण करने वाले वन्यप्राणी चिकित्सकों के अनुसार तेजस के आंतरिक अंग सामान्य रूप से कार्य नहीं कर रहे थे। इस अवस्था तेजस के भविष्य में पूरी तरह स्वस्थ होने की संभावनाएं काफी कम हो गई थी। संभवत: चीता के आंतरिक रूप से कमजोर होने के कारण बाड़े में मौजूद अन्य मादा चीता से हुई हिंसक झड़प से हुए ट्रामा की स्थिति से रिकवर नहीं कर पाया।