कोलकाता
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव का रिजल्ट आने के बाद भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. ताजा घटना दक्षिण-24 परगना के भंगोर से सामने आई है. यहां हिंसा के दौरान इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) कार्यकर्ता की मौत हो गई और जमकर बम फेंगे गए हैं. हिंसा के दौरान हाथ में गोली लागने से एडिशनल एसपी घायल हो गए.
दरअसल, ISF का एक उम्मीदवार काउंटिंग के दौरान एक बूथ पर आगे चल रहा था. लेकिन वह आखिरी दौर की काउंटिंग में हार गया. इसके बाद वहां हंगामा हुआ और हिंसा शुरू हो गई. यहां कल रात से ही भारी पुलिस तैनात है.
दरअसल, शनिवार (8 जुलाई) को 74 हजार पंचायतों के लिए वोटिंग हुई थी. इस दौरान जमकर हिंसा हुई और पोलिंग बूथों पर मारपीट, बूथ लूटने और आगजनी करने की घटनाएं सामने आईं थीं. इसके बाद 19 जिलों में बूथों पर सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक फिर से मदतान कराया गया था. इस दौरान प्रत्येक बूथ पर राज्य पुलिस के अलावा चार केंद्रीय बल के जवान मौजूद थे.
चुनाव के दौरान हिंसा के सबसे ज्यादा केस मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, उत्तर और दक्षिण 24 परगना सें सामने आए . कूचबिहार में टीएमसी वर्कर्स ने बैलेट बॉक्स तोड़े थे, उनमें पानी डाला और आग लगा दी थी. उत्तर दिनाजपुर में कई जगहों पर बैलेट पेपर और चुनाव से जुड़ी सामग्री जलाई गई थीं. दक्षिण दिनाजपुर में भी बैलेट बॉक्स में पानी डाल दिया गया था. हिंसा में कई लोगों की मौत भी हुई थी और कई लोग घायल हो गए.
पार्टियां एक दूसरे पर लगा रहीं आरोप
- 1. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने चुनावी हिंसा के लिए ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो गई है. चुनाव को आयोग ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर नष्ट कर दिया है. बीजेपी बंगाल में लोकतंत्र की बहाली चाहती है.
- 2. वहीं, टीएमसी ने वीडियो ट्वीट कर बीजेपी पर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि कूचबिहार के हल्दीबाड़ी ब्लॉक के दीवानगंज ग्राम पंचायत में बंगाल बीजेपी के समर्थकों ने बूथ पर कब्जा कर लिया और मतपेटी फेंक दी. बीजेपी ने लोगों के अधिकारों पर हमला किया.
- 3. इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने भी नाराजगी जाहिर की है. बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने आतंक की बारिश शुरू कर दी है, जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं .बंगाल में पंचायत चुनाव मजाक है और वस्तुतः यह चुनावी लूट-खसोट का एक उदाहरण है.