तेलंगाना
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की संभावनाओं को लेकर कांग्रेस काफी उत्साहित है। पार्टी को कर्नाटक के बाद तेलंगाना में भी जीत दर्ज करने का भरोसा है। पार्टी को यह भरोसा जनसभाओं में जुटती भीड़ और भारत राष्ट्र समिति (BRS) के नेताओं के दल बदलने और प्रदेश भाजपा में अंदरुनी कलह से पैदा हुआ है। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि तेलंगाना में बीआरएस के साथ सीधा मुकाबला है। बीआरएस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव राज्य के गठन के वक्त से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कई मुद्दों पर लोग उनसे नाराज हैं और मतदाताओं का बड़ा तबका बदलाव चाहता है। पार्टी इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है।
खम्मम रैली से माहौल बदला
पार्टी का कहना है खम्मम रैली में उमड़ी भीड़ से भी माहौल बदला है। बीआरएस के कई और नेता आना चाहते हैं। पर पार्टी फिल्हाल जल्दबाजी करने के हक में नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हम स्थानीय नेताओं को भरोसे में लेकर निर्णय लेंगे। बीआरएस के करीब तीन दर्जन नेता पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। तेलंगाना के गठन में कांग्रेस की अहम भूमिका रही है। यूपीए ने वर्ष 2014 में तेलंगाना का गठन किया था। पार्टी इस मुद्दे पर मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रही है। पर पार्टी इस बार आक्रामक रुख से साथ चुनाव लड़ रही है। तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी कहते हैं कि हम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे।
उम्मीदवारों की घोषणा जल्द संभव
चुनाव तैयारियों को लेकर 27 जून को कांग्रेस मुख्यालय में हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रभावी तरीके से मतदाताओं तक पहुंचने, पांच प्रमुख गारंटियों के साथ चुनाव घोषणा पत्र को सरल बनाने के साथ लोगों से जुड़े मुद्दे उठाने की नसीहत दी थी। इसके साथ ही पार्टी जल्द उम्मीदवारों का ऐलान कर सकती है। प्रदेश कांग्रेस भाजपा को लेकर बहुत चिंतित नहीं है। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि वर्ष 2019 के बाद भाजपा का ग्राफ बढ़ने के बजाए कम हुआ है। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से भी भाजपा को बहुत चुनावी लाभ नहीं मिल पाएगा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चार सीट पर जीत दर्ज की थी।
तेलंगाना में पार्टियों का प्रदर्शन
– वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बीआरएस (उस समय तेलंगाना राष्ट्र समिति) को 88 सीट के साथ 47 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा को एक सीट के साथ सात फीसदी वोट और कांग्रेस को 19 सीट के साथ 28 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि एआईएमआईएम को करीब तीन फीसदी वोट के साथ सात सीट मिली थी।
– वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीआरएस को 41 प्रतिशत वोट के साथ नौ सीट मिली। यानी बीआरएस के वोट बैंक में छह फीसदी की कमी आई। भाजपा को चार सीट के साथ 19 फीसदी वोट मिला था। भाजपा दो सीट पर दूसरे नंबर पर भी रही थी। वहीं, कांग्रेस को तीन सीट के साथ 29 फीसदी वोट मिले थे। इसके साथ कांग्रेस चुनाव में आठ सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी।