नई दिल्ली
करीब तीन सालों के बाद एक बार फिर अनुच्छेद 370 का मुद्दा गर्माने जा रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस खत्म करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच इस बात की जांच कर सकती है कि क्या संसद बगैर लोगों की सहमति के आर्टिकल 370 खत्म कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश के अलावा बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत होंगे। खबर है कि पांच जजों की संवैधानिक बेंच मंगलवार को कार्यवाही की शुरुआत करेगी। संभावनाएं हैं कि इस दौरान याचिकाओं पर सुनवाई की शुरुआत के लिए तारीख भी दी जा सकती है।
केंद्र ने कोर्ट को बताया- 370 हटने के बाद शांति आई
केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को शीर्ष न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में शांति आई है। साथ ही सरकार ने आतंकवादी घटनाओं में भी कमी की बात कही है। केंद्र ने बताया कि 2018 में पथराव की 1767 घटनाएं हुई थीं, जो 2023 में शून्य हो गई हैं। केंद्र ने दलील दी कि ऐतिहासिक संवैधानिक कदम क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता लेकर आया है, जो अनुच्छेद 370 के लागू रहने के दौरान नहीं था।
हलफनामे में कहा गया है, 'G20 पर्यटन कार्य समूह की मई 2023 में श्रीनगर में हुई बैठक घाटी में पर्यटन का एक ऐतिहासिक अवसर था और देश ने गर्व से दुनिया को अपना यह दृढ़ संकल्प दिखाया है कि अलगावादी क्षेत्र को एक ऐसे इलाके में बदला जा सकता है, जहां अंतरराष्ट्रीय मेहमानों को बुलाया जा सकता है और वैश्विक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।'
इसमें कहा गया है, 'बेहतर सुरक्षा परिदृश्य में, केंद्र शासित प्रदेश में एक जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक 1.88 करोड़ पर्यटक आए, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है।' पीठ की तरफ से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई की जानी है। केंद्र ने पांच मई 2019 को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त कर दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया था।