भोपाल
बीफार्मा और फार्मेसी संबंधित अन्य कोर्स के छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान मिले, इसके लिए उन्हें अस्पताल या फार्मा उद्योग में इंटर्नशिप करनी होगा। मप्र स्टेट फार्मेसी काउंसिल जल्द ही इसका मसौदा फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया और एआइसीटीई को देगी। इससे उन्हें रोजगार मिलने में आसानी होगी।
अभी तक डीफार्मा कोर्स में तीन माह इंटर्नशिप की अनिवार्यता है। इसके बाद ही फार्मेसी काउंसिल द्वारा पंजीयन किया जाता है। इसके अलावा फार्मा इंडस्ट्री छात्रों का ज्ञान अद्यतन करने में भी सहयोग देगी। वह फार्मा छात्रों को रोजगार के साथ प्रशिक्षण दिलवाने में सहयोग करेगी। पिछले कुछ वर्षों में दवा निर्माता कंपनियां तकनीकें और मशीनरी बदल चुकी हैं। ऐसे में छात्रों को इनका अनुभव मिल सके, इसके लिए प्रयास किया जाएगा।
पहली बार फार्मेसी कोर्स के सुधार का कार्य
अभी तक मप्र स्टेट फार्मेसी काउंसिल सिर्फ रजिस्ट्रेशन करती थी। वह पहली बार शिक्षा के सुधार का प्रयास करेगी। इसके संबंध में काउंसिल ने औद्योगिक, शिक्षा और कम्युनिटी व मेडिसिन की तीन तरह की कमेटियां बनाई हैं। उद्योगों से जुड़ी कमेटी में फार्मा क्षेत्र के उद्योगपति, लैब संचालकों सहित नौ लोगों को शामिल किया गया है। यह कमेटी पर 10 अगस्त तक काउंसिल को अपने सुझाव भेजेगी।