जयपुर
कांग्रेस ने अपनी हालिया दिल्ली बैठक के बाद ऐलान किया है कि पार्टी बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे के राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Vidhansabha Chunav 2023) में उतरेगी। यह घोषणा एक चौंकाने वाली बात है क्योंकि वर्तमान सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पार्टी की वापसी सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वहीं सचिन पायलट (Sachin Pilot) के नेतृत्व वाला प्रतिद्वंद्वी खेमा उम्मीद कर रहा था कि उनके नेता को सीएम चेहरा घोषित किया जाएगा। पार्टी आलाकमान के एक बयान से जहां दोनों खेमों की बोलती बंद हो गई है, वहीं कई नेताओं का दावा है कि यह पायलट खेमे की जीत है। परोक्ष रूप से यह गहलोत के लिए फिलहाल चुप रहने का संदेश है। उधर बीजेपी में भी सीएम पद को लेकर स्थिति ज्यादा अलग नहीं है। जानिए पूरा मामला।
कांग्रेस ने सीएम फेस पर नहीं खोले पत्ते
पहले बात कांग्रेस की करते हैं, जहां केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर सूबे में चर्चा का दौर जारी है। कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर आप सरकार में हैं तो पार्टी नेता आप पर और आपके नेतृत्व पर भरोसा करता है। जब पार्टी नेतृत्व को आप पर इतना भरोसा है तो अगले चुनाव में आपके चेहरे को सीएम का चेहरा क्यों नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि पार्टी आपके प्रदर्शन को लेकर सशंकित है।
बीजेपी का सत्ताधारी पार्टी पर पलटवार
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस ने लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए इस चुनाव में बिना सीएम फेस उतरने की घोषणा की है। पिछली बार उन्होंने गुर्जरों के वोट लेने के लिए पायलट को चेहरा बनाया था। इस बार फिर भ्रमित करने के लिए उन्होंने फिर बिना सीएम फेस के उतरने की घोषणा की है। मतदाताओं को यह संदेश देने के लिए कि पायलट सीएम हो सकते हैं और दूसरों के लिए कि गहलोत भी सीएम हो सकते हैं। हालांकि, इस बार का चुनाव खराब कानून-व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर लड़ा जाएगा। लोग वास्तविकता जानते हैं और कांग्रेस तथ्यों को छिपाना चाहती है और इसलिए वे चेहराविहीन हो रहे हैं।
बीजेपी भी पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ेगी चुनाव
इस बीच, विपक्षी बीजेपी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि पार्टी बिना सीएम चेहरे के चुनाव में उतरेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनकी योजनाओं पर चुनाव लड़ेगी। दरअसल, रेगिस्तानी राज्य में दोनों पार्टियों में कई समानताएं हैं। राजस्थान में 2018 में अपनी सरकार के गठन के बाद से ही कांग्रेस अंदरूनी गुटबाजी को लेकर सुर्खियां बटोरती रही है। ऐसा ही कुछ हाल बीजेपी का भी है जहां पार्टी गुटबाजी से निपटने में जुटी है। जहां कांग्रेस में झगड़ा गहलोत-पायलट खेमे तक सीमित है, वहीं बीजेपी में यह अलग-अलग खेमों में बंटा हुआ है, क्योंकि सीएम बनने की चाह रखने वालों की लंबी सूची है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इसलिए पार्टी सीएम चेहरे का नाम बताने से कतरा रही है।
कैसे इस मुद्दे पर साथ आए बीजेपी-कांग्रेस
वहीं कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के फेसलेस होने की रणनीति ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भ्रमित कर दिया है। जहां कांग्रेस नेता असमंजस में हैं कि उन्हें किस खेमे में जाना चाहिए, वहीं जमीनी स्तर के कार्यकर्ता और भी अधिक भ्रमित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिला पीसीसी कार्यालयों में प्रमुख पद खाली पड़े हैं। ऐसी ही दुर्दशा बीजेपी की है जहां नेताओं का झुकाव विशेष खेमों की ओर है और इसलिए पार्टी एकजुट चेहरा पेश करने में विफल हो रही है। हाल ही में कोटा में वसुंधरा राजे के वफादार प्रह्लाद गुंजल की ओर से बुलाई गई रैली में पार्टी के दिग्गज नेता नजर नहीं आए। वहीं बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में भी यही स्थिति थी जब राजे अनुपस्थित थीं जबकि अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।