भोपाल
मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच का निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात भोपाल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। निर्मला बुच 22 सितंबर 1991 से 1 जनवरी 1993 तक मुख्य सचिव के पद पर रही थीं।
वह 1960 बैच की आइएएस अधिकारी थीं और 1990 से 1992 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की सरकार में मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव रहीं। उनके पति स्व महेश नीलकंठ बुच भी मध्य प्रदेश कैडर के आइएएस थे, जिन्होंने प्रशासनिक क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए थे। सोमवार को भोपाल में निर्मला बुच का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अद्भुत थी निर्मला जी की प्रशासनिक दक्षता – शिवराज
निर्मला बुच के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती निर्मला बुच जी के निधन के समाचार से मन दुःखी है। उनकी कर्तव्यनिष्ठा और प्रशासनिक दक्षता अद्भुत थी। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति तथा शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। दुःख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं परिजनों के साथ हैं।
सामाजिक जीवन में उनका योगदान अविस्मरणीय – कमल नाथ
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भी बुच के निधन पर ट्वीट के जरिए श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव एवं कर्मठ समाजसेवी श्रीमती निर्मला बुच के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे और परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति दे।मध्यप्रदेश के सामाजिक जीवन में श्रीमती बुच का योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। विनम्र श्रद्धांजलि।
गौरतलब है कि प्रशासनिक सेवा में रहते हुए निर्मला बुच ने सभी प्रमुख पदों पर काम किया। वे वित्त और शिक्षा विभाग की सचिव रहीं। केंद्रीय योजना आयोग में उन्होंने सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम किया। उनके द्वारा महिला चेतना मंच का संचालन भी किया जा रहा था।
निर्मला बुच का जन्म 11 अक्टूबर 1925 को उप्र के खुर्जा में हुआ था। वर्ष 1960 में मंसूरी से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उनकी पहली पदस्थापना 1961 में जबलपुर में हुई थी। वह 1961 से 1993 तक मध्य प्रदेश एवं भारत सरकार के विभिन्न विभागों के प्रशासन एवं प्रबंधन के पदों पर रहीं। वह मध्य प्रदेश सरकार में 1975-77 तक वित्त सचिव एवं शिक्षा सचिव तथा 1991-1992 में मुख्य सचिव के पद पर रहीं। इन पदों पर रहते हुए उन्होंने प्रदेश के विकास का जो मॉडल तैयार किया, वह मील का पत्थर साबित हुआ।