बिहार
बिहार में गरीब गुरबा के विकास के लिए बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं। इस बीच सारण जिले से एक ऐसी तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं जो पोल खोलने वाली है। एक मुहल्ले की जमीनी हकीकत जानकर आपका मन भी व्यथित हो जाएगा। जिले के मशरक नगर पंचायत मुख्यालय में स्थित महादलित बस्ती आज भी विकास का इंतजार कर रही है। नगर पंचायत क्षेत्र के एसएच 73 से सटे दक्षिण विदेशी यादव टोला के पास बसी बड़ी मुसहर टोली विकास से कोसों दूर है। बस्ती में बिजली, नल-जल का मोटर है किंतु बस्ती वालों के घर तक पानी का कनेक्शन नहीं पहुंचा है।
लगातार बढ़ रही गर्मी में पीने का पानी उपलब्ध कराने में बस्ती का इकलौता चापाकल भी असहाय है। धूप और गर्मी की वजह से दिन चढ़ने के बाद झोपड़ीनुमा घर की वजह से चूल्हे में चिंगारी भी लोग नही जलाते है। यहां के लोगों का पूरा दिन पेड़ की छांव में कट रहा है। अधिकतर लोग मजदूरी कर अपना भरण-पोषण करते हैं।
करीब 100 घर वाले इस गांव में प्राइमरी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र भी है। पर आजादी के 75 वर्ष बाद भी किसी ने आठवीं कक्षा भी पास नहीं की। यहां के लोगों को सरकारी अनाज भी कभी-कभार ही मिल पाता है। बच्चे स्कूल जाने की बजाय अपनी दिनचर्या के रूप में बकरी चराना, घास काटना, जलवान चुनना जैसा काम करते हैं। कुछ बच्चे मशरक गोला रोड में मजदूरी करते हैं।
ग्रामीण तपेश्वर राउत कहते हैं- गांव में 20 साल पहले घर बनाने के लिए कुछ लोगों को इंदिरा आवास की राशि मिली था पर घर नहीं बन सका। क्योंकि जो राशि मिली थी, उसमें से ज्यादातर कमीशन ही दे देना पडा था। बस्ती की महिलाओ ने बताया कि गांव में सिर्फ दो चापाकल से ग्रामीणों की प्यास बुझती है। बड़ी मुश्किल से जल नल योजना आई पर पानी की टंकी नहीं बनने से गर्मी के दिनों में पानी के लिए परेशानी होती है।
नरेश राउत कहते हैं कि नल-जल योजना के तहत यहां पर अभी तक पानी टंकी का निर्माण नहीं हुआ है। इस कारण ग्रामीणों के समक्ष गर्मी के दिनों में पेयजल तो बरसात में पूरी बस्ती के टापू बनने से समस्या गंभीर हो जाती है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। वही कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं देता है।
महिलाओं ने बताया कि चुनाव के समय तों सभी विकास का वादा करते हैं पर चुनाव बीतते ही सब इस टोले का रास्ता भूल जाते हैं। गांव में पहले सरकारी अस्पताल की टीम आकर जांच करती थी लेकिन अब सब बंद हो गया।