लखनऊ
आप जमीन खरीदने जा रहे हैं या किसी टाउनशिप में मकान बनवाने के बारे में सोच रहे हैं तो आपके लिए इन बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। ग्राम समाज की आरक्षित श्रेणी की जमीनों का भूमि उपयोग मनमाने तरीके से नहीं बदला जा सकेगा। खासकर चरागाह, तालाब और कब्रिस्तान-श्मशान की जमीनों पर मनमाने तरीके से निर्माण भी नहीं किया जा सकेगा। औद्योगिक विकास विभाग के प्रस्ताव पर राजस्व विभाग ने पेंच फंसा दिया है। इसके साथ ही नई टाउनशिप नीति में अनुसूचित जाति और जनजाति की जमीनों को बिना डीएम की अनुमति से लेने का मामला भी आगे चलकर फंस सकता है।
राजस्व संहिता में जमीनों की श्रेणियों का निर्धारण किया गया है। इसके आधार पर ही जमीनों का उपयोग तय किया जाता है। राजस्व संहिता में आरक्षित श्रेणी की जमीनों में खलिहान, चरागाह, कब्रिस्तान, श्मशान, तालाब व नदी के तल की भूमि को रखा गया है। राजस्व विभाग ने इस जमीनों को इसलिए आरक्षित किया है कि इनका इस्तेमाल इन्हीं कामों के लिए किया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ श्रेणी की जमीनों को दूसरे इस्तेमाल में लाने का प्रस्ताव है। औद्योगिक विकास विभाग चाहता है कि ग्राम समाज की जमीनों को उसको दे दिया जाए। इसमें आरक्षित श्रेणी की जमीनें भी शामिल हैं। सूत्रों कहना है कि उच्च स्तर पर हुई बैठक में राजस्व विभाग ने इस पर आपत्ति जताई है। उसने कहा है कि आरक्षित श्रेणी की जमीनों की यथा स्थिति बनाई रखी जाए। बहुत जरूरी होने या फिर शहर के बीचों बीच आने पर उतनी जमीनों के आरक्षण पर शर्तों के साथ छोड़ने की अनुमति दी जा सकती है।
आरक्षित श्रेणी की जमीनें इसीलिए रखी गई हैं कि जिस मद में इनका आरक्षण किया गया है उसमें ही किया जाता रहे। बंजर और परती की जमीनों का तो इस्तेमाल किया जा सकता है। खेती की जमीनों का उपयोग भी दूसरे कामों में किया जा सकता है, लेकिन आरक्षित श्रेणी की जमीनों को बचाए रखने का सुझाव दिया है।