नई दिल्ली
भारत के सबसे अमीर धार्मिक स्थलों में शुमार भगवान जगन्नाथ पुरी मंदिर की संपत्ति को लेकर कई तरह के कयास लगते रहते हैं। मंदिर के पास कितना धन है, इसे लेकर एक बार फिर उड़ीसा उच्च न्यायालय में सवाल पूछा गया है। खास बात है कि 1978 के बाद से ही मंदिर में मौजूद आभूषणों की सूची तैयार नहीं की गई है।
45 सालों से यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर देवताओं को हीरे, सोने और चांदी के आभूषणों का मूल्य क्या होगा। दरअसल, 30 जून को ही हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है, जिसमें रत्न भंडार को खुलवाकर अंदर मौजूद चीजों की सूची बनाए जाने की मांग की गई है। याचिका दाखिल होने के बाद बुधवार को मंदिर प्रशासन को हलफनामा दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। श्री जगन्नाथ टेंपल एडमिनिस्ट्रेशन (SJTA) के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास का कहना है कि हम इस नोटिस पर गौर करेंगे और प्रतिक्रिया देंगे। खास बात है कि जगन्नाथ टेंपल एक्ट 1955 में कहा गया है कि रत्न भंडार की सूची को हर तीन सालों में एक बार तैयार किया ही जाना चाहिए। हालांकि, ऐसा लंबे समय से नहीं हुआ है।
कब तैयार की गई थी सूची
मंदिर के खजाने में मौजूद चीजों की सूची साल 1926 और फिर 52 सालों के बाद 1978 में तैयार की गई थी। हालांकि, 1978 में आभूषणों का मूल्यांकन नहीं हुई था। इसके बाद साल 2018 में राज्य सरकार ने जांच के लिए रत्न भंडार को दोबारा खोलने की तैयारी की, लेकिन उस दौरान कमरे की चाबियां नहीं मिलने के चलते अधिकारी काम पूरा नहीं कर सके थे। अनुमान है कि भगवान जगन्नाथ पुरी मंदिर में हर साल 3 लाख 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। साथ ही माना जाता है कि हर साल मंदिर की कमाई करीब 150 करोड़ रुपये है। साथ ही मंदिर को हर वर्ष 1.72 करोड़ रुपये से ज्यादा का डोनेशन भी मिलता है।