महाराष्ट्र
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों धड़ों (अजित पवार गुट और शरद पवार गुट) के शक्ति प्रदर्शन और महाबैठक के बाद अब लड़ाई चुनाव आयोग की दहलीज पर पहुंच चुकी है। अजित पवार गुट ने आयोग से संपर्क कर दावा किया कि उन्हें पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसलिए पार्टी का नाम और सिंबल उनके गुट को आवंटित किया जाय। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने 40 विधायकों, एमएलसी और सांसदों के समर्थन का दावा पेश किया है।
इस बीच, अजित पवार गुट के सभी विधायकों को मुंबई के एक हाई प्रोफाइल होटल में रखा गया है। हालांकि, उनके हस्ताक्षरित हलफनामे चुनाव आयोग को सौंपे जा चुके हैं। चुनाव आयोग में सौंपे गए हलफनामे के अनुसार, सत्तारूढ़ गठबंधन में उप मुख्यमंत्री बनने से पहले ही एक चौंकाने वाले कदम में 30 जून को ही अजित पवार को एनसीपी के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है।
इस बीच शरद पवार धड़े ने भी चुनाव आयोग में केविट याचिका दायर कर मांग की है कि इस मामले में कोई आदेश जारी करने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए। अजित पवार ने अपने दावे के समर्थन में कुछ विधायकों के शपथ पत्र भी आयोग को दिये हैं। उधर महाराष्ट्र में शरद पवार ने समर्थकों से कहा कि पार्टी चुनाव चिन्ह हमारे पास ही है।
बुधवार को मुंबई के दो अलग-अलग स्थानों पर दोनों गुटों की बुलाई गई बैठक में जहां अजित पवार के समर्थन में 32 विधायक पहुंचे थे, वहीं शरद पवार की मीटिंग में 14 विधायक मौजूद थे। एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं। अब नंबर गेम में पिछड़ने के बाद शरद पवार ने नई दिल्ली में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, जिसमें एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले भी शामिल होंगी।
एनडीए में अजित पवार गुट के शामिल होने से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना विधायकों में भी काफी बेचैनी पैदा हो गई है। मुख्यमंत्री ने अपनी सभी अप्वाइंटमेंट्स रद्द कर दिए और कल शाम आधिकारिक आवास पर पार्टी की एक आपात बैठक बुलाई। सूत्रों ने कहा कि विधायक गठबंधन पर आपत्ति जता रहे हैं, उनका कहना है कि सेना के संस्थापक बाल ठाकरे कभी भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ नहीं जुड़ सकते थे।