नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पीएमस नरसिम्हा ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि केवल बहुमत ही लोकतंत्र का आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता बहुत जरूरी है तभी संविधान और कानून का सम्मान हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र न्यायाधीश ही सरकार का कार्यों पर निगरानी रख सकता है। न्यायालय की स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक अहम स्तंभ है।
बता दें कि जस्टिस नरसिम्हा भी सीजेआई बनने की कतार में हैं। 2027 में वह सीजेआई बन सकते हैं। वह दिल्ली में सिंघवी-ट्रिनिटी-कैंब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड के कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इसी बात पर बार-बार जोर दिया कि लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका बहुत आवश्यक है।
उन्होंने कहा, कुछ सिद्धातों और नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है जिससे कि हर नागरिक को समान अधिकार मिलें। ऐसे में न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक अहम स्तंभ बन जाती है जो कि देश में संविधान और कानून का राज लागू करने में मददगार है। उन्होंने कहा, अगर न्यायपालिका कि स्वतंत्रता का हनन किया जाएगा तो लोकतंत्र का किला ढह जाएगा। एक लोकतांत्रिक सरकार के लिए ताकत का यह बंटवारा जरूरी है। अगर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को चुनौती दी जाती है तो सरकार की अवधारणा ही खतरे में आ जाएगी। वहीं स्वतंत्र जज ही सरकार की भी निगरानी कर सकते हैं जो कि बहुत जरूरी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस कार्यक्रम में संबोधित किया और कहा कि केवल प्रशासन के तंत्र से ही कोई स्वतंत्रता की सांस नहीं ले सकता है बल्कि इसके लिए एक सामाजिक प्रतिबद्धता जरूरी है जिससे कि सबको न्याय और बराबरी का अधिकार मिल सके। जानेमाने वकील सिंघवी ने कहा, एक स्वतंत्र न्यायपालिका ही लोकतंत्र की जान है। इससे सबके लिए बराबर न्याय और पारदर्शिता का कॉन्सेप्ट मजबूत होता है और एक सशक्त लोकतंत्र स्थापित होता है।