नई दिल्ली
भारत की आजादी को 100 वर्ष पूरे होने पर 2047 तक देश में 100 करोड़ से अधिक भारतीय मध्यम (Middle Class) वर्ग में शामिल हो जाएंगे। ये आकलन ‘पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी’ यानी प्राइस की ‘भारत के मध्यम वर्ग का उदय’ शीर्षक से जारी सर्वे रिपोर्ट में किया गया है। इसे जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने जारी किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2004-05 में जहां देश की 30 फीसद परिवार गरीब हुआ करते थे, इनकी संख्या 2030 तक छह फीसद के नीचे आ जाएगी। वहीं 2047 तक यह दो फीसद भी नहीं रहेगी। मध्यम वर्ग की आबादी 2004-05 के 14 फीसद से बढ़कर 2030 तक 46 फीसद हो जाएगी। 2047 में यह आंकड़ा 63 फीसद तक पहुंचने की उम्मीद है।
आय के चार पैमाने: आय के चार पैमाने रिपोर्ट में देश की आय के पिरामिड को चार पैमानों पर रखते हुए मापा गया है। इसमें अमीरों की सालाना परिवारिक आय 30 लाख रुपये से ऊपर मानी गई है। मध्यम वर्ग को 5-30 लाख रुपये के दायरे में रखा गया। आकांक्षी लोगों की आय 1.25 से 5 लाख रुपये के बीच है और 1.25 लाख से नीचे आमदनी वाले परिवार को गरीब माना गया है। आगामी वर्षों में अमीर, मध्यम वर्ग और आकांक्षी वर्ग की संख्या में बढ़त का दावा किया गया है। वृद्धि दर में बढ़ोतरी संभव अमिताभ कांत ने कहा है कि देश में विनिर्माण और शहरीकरण पर ध्यान देकर 8-9 फीसद की वृद्धि दर हासिल की जा सकती है।
क्या हैं इसके मायने: भविष्य में आर्थिक तौर पर मध्यम वर्ग की आबादी के बढ़ने से ऐसे लोगों की तादाद बढ़ेगी जो ज्यादा खर्च करने में सक्षम होंगे। इनके आर्थिक चक्र में योगदान देने का फायदा देश में तमाम आर्थिक गतिविधियों को होना संभव है। जिस क्षेत्र में ये ज्यादा खरीदारी करेंगे उस क्षेत्र में उत्पादन बढ़ेगा, इससे नौकरी की संभावनाएं बढ़ेंगी और निचले पायदान के लोगों को मजबूत करेंगी। फिर आर्थिक चक्र में इनकी तरफ से योगदान भी बढ़ेगा। कुल मिलाकर ये देश की जीडीपी को बढ़ाने में सक्षम होंगे।
आर्थिक बदलाव के संकेत अमिताभ कांत
उच्च शिक्षा में सुधार जरूरी : नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारत को अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है, जिससे युवा अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों में काम करने वाली आबादी में आई गिरावट का फायदा उठा सकें। मौजूदा दौर में ज्यादातर देशों में लोगों की उम्र बढ़ रही है और काम करने वाले कम हो रहे हैं। अफ्रीका को छोड़कर भारत सबसे बड़ा काम करने योग्य आबादी वाला मुल्क होगा। अमिताभ कांत ने कहा कि उभरता मध्यम वर्ग देश में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने की ताकत रखता है। जैसे-जैसे मध्यम वर्ग की संख्या बढ़ेगी, इससे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, आवास, उपभोक्ता वस्तुओं और कई अन्य चीजों की मांग बढ़ेगी। 1991 के सुधारों के बाद से लाखों लोग मध्यम वर्ग में शामिल हुए। तकनीकी प्रगति और निरंतर विकास ने विस्तार को बढ़ाया।