पटना
बिहार के शिक्षा विभाग में चल रहे घमासान के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने आज सुबह शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को तलब किया। और आवास पर उनसे मुलाकात की। इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होने कहा कि कोई विवाद नहीं है। चीजों को देख और समझ रहा हूं। मीडिया के जरिए पता चला है। और अब एक-एक चीज बारीकी से देख रहा हूं। कोई विवाद बढ़ा ही नहीं है। आपको बता दें शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर लालू यादव के करीबियों में से एक हैं। और आरजेडी कोटे से बिहार सरकार में मंत्री हैं।
पीत पत्र पर मचा घमासान
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को शिक्षा मंत्री के पीएस कृष्णा नंद यादव ने पीत पत्र लिखा था। जिसमें शिक्षा मंत्री की ओर से केके पाठक समेत विभाग के निदेशक स्तर के कुछ पदाधिकारियों की कार्यशाली पर आपत्ति जतायी थी। जिसमें कहा गया था कि यह सुनिश्चित किया जाय कि लोक सेवक अपनी छवि को चमकाने, राबिनहुड की छवि बनाने के लिए विभाग के संसाधनों तथा सरकार का सहारा ना ले सकें।
शिक्षा विभाग की हुई किरकिरी
जिसके बाद ये चिट्ठी वायरल हो गई। और अब शिक्षा विभाग की किरकिरी हो रही है। जिसके बाद सवाल उठने लगे कि आखिर शिक्षामंत्री को पीत पत्र लिखवाने की जरुरत क्यों पड़ी। वही अब दूसरी ओर शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव कृष्णा नंद यादव के विभाग में एंट्री पर रो लगा दी है। केके पाठक नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारियों में एक हैं। वहीं इस मामले पर जदयू और आरजेडी के अलग-अलग सुर हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि केके पाठक एक ईमानदार, नियम संगत और कानून से चलने वाले अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि पाठक काम करने वाले अधिकारी हैं। जिन्हें उनकी कार्यशैली पसंद है, उन्हें वो पसंद आते हैं। जिन्हें पसंद नहीं है वो उन्हें नापसंद करते हैं। बिहार में कानून का राज है। कोई भी अधिकारी नियम व कानून के विरुद्ध जाकर कार्य करने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है।
वहीं, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि केके पाठक ने अब तक जिन विभागों में काम किया है, व्यवस्था को अपडेट करने का काम किया है। अपर मुख्य सचिव कार्यपालिका के प्रधान होते हैं। शिक्षा विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर वहां की कार्यशैली निर्धारित की होगी। ऐसे में लालू से शिक्षामंत्री की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। ऐसे में देखना होगा कि शिक्षा विभाग में मचा रण आखिर कब थमेगा?