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भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में दुनिया के बड़े देशों को पीछे छोड़ा, 49 अरब डॉलर का investment

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  नई दिल्ली
भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था (India Fastest Growing Economy) बना हुआ है और देश के आगे बढ़ते कदमों की दुनिया ने सराहना की है. अब Indian Economy के लिए एक और गुड न्यूज आई है. विदेशी निवेश के मामले में भारत ने अमेरिका, चीन, ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है. दरअसल, व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD’s) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 10 फीसदी बढ़ा है, जबकि विकसित देशों के इसका फ्लो 37 फीसदी घटा है.  

भारत में इतना आया विदेशी निवेश
बुधवार को जारी की गई UNCTAD's की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के मामले में तमाम देशों को पीछे छोड़ा है, देश में एफडीआई 10 फीसदी बढ़कर 49 अरब डॉलर हो गया. यहां दिलचस्प बात यह है कि समग्र एफडीआई फ्लो में गिरावट ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं में देखने को मिली, जहां एफडीआई एक साल पहले की तुलना में 2022 में 37 फीसदी गिर गया और 378 अरब डॉलर पर आ गया. रिपोर्ट के मुाताबिक, विदेशी निवेश के जरिए भारत अब ग्लोबली नई परियोजनाओं की घोषणा करने वाला तीसरा और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया.

चीन-सिंगापुर भी रह गए भारत से पीछे
वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट-2023 में कहा गया है कि 2020 में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के दौरान FDI में भारी गिरावट दर्ज करने के बाद साल 2021 में एक मजबूत स्थिति देखने को मिली थी. लेकिन 2022 में एक बार फिर कुल वैश्विक एफडीआई प्रवाह 12 फीसदी घटकर 1.3 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. भारत में जहां 10 फीसदी एफडीआई आया, तो वहीं चीन (China) में  ये 5 फीसदी की सालाना बढ़ोत्तरी के साथ 189 अरब डॉलर हो गया. इसके अलावा सिंगापुर में 8 फीसदी विदेशी निवेश बढ़ा और ये 141 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 10 फीसदी के इजाफे के साथ 23 अरब डॉलर हो गया.

पांच देशों में 80% एफडीआई
पिछले साल 2022 में जिन पांच देशों में सबसे ज्यादा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया, उनमें चीन, हांगकांग, सिंगापुर, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं. यहां कुल मिलाकर इस क्षेत्र में लगभग 80 फीसदी निवेश आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण ये है कि देश तेजी से विकास की राह पर आगे की ओर बढ़ रहा है. केंद्र सरकार बुनियादी ढांचे में अपने निवेश को बढ़ा रही है. इसमें कहा गया है कि बीते साल रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, खाने-पीने की चीजों समेत ऊर्जा की कीमतों में तेजी और सार्वजनिक कर्ज में इजाफा होने से वैश्विक एफडीआई में गिरावट आई है.

एनर्जी सिस्टम में निवेश महत्वपूर्ण
अंकटाड की नई World Investment Report-2023 में महासचिव रेबेका ग्रिनस्पैन (Rebeca Grynspan) ने कहा है कि साल 2030 तक दुनिया के जलवायु लक्ष्यों (Climate Goals) तक पहुंचने के लिए विकासशील देशों में टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत समेत अन्य विकासशील देशों ने 2022 में स्वच्छ ऊर्जा में 544 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया है और इन्हें सालाना 1.7 ट्रिलियन डॉलर के नवीकरणीय ऊर्जा निवेश की आवश्यकता है.