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यूक्रेन ने रूस के कब्जे वाले माकिव्का शहर पर हमला किया. बताया जा रहा है कि रात में किए गए हमले में यूक्रेनी फौज ने अमेरिका से हासिल किए हिमरास रॉकेट्स (HIMRAS) का इस्तेमाल किया है. यूक्रेनी फौज ने दो रॉकेट टारगेट करके तेल और आयुध डिपो पर दागे. रॉकेट्स ने सटीक निशाना लगाया.
रॉकेट के टकराने से पहला धमाका छोटा था. लेकिन धीरे-धीरे ये बड़ा होने लगा. हथियारों के जखीरे में आग लगने की वजह से वहां से छोटे-छोटे रॉकेट छूट रहे थे. विस्फोट हो रहे थे. थोड़ी देर बाद दूसरा बड़ा धमाका हुआ. बेहद बड़ा. ये धमाका तेल डिपो में विस्फोट की वजह से था. विस्फोट के बाद हवा में आग का मशरूम बन गया.
काफी दूर तक शॉकवेव जाती हुई दिखाई दी. आसपास के इलाके की लाइट चली गई. इसके बाद काफी देर तक विस्फोट वाली जगह पर छोटे-छोटे धमाके होते रहे. इस घटना के जवाब में रूस ने पश्चिमी यूक्रेन के शहर लवीव पर मिसाइल दागी. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. चार लोग जख्मी हो गई. इनकी संख्या बढ़ने की आशंका है.
इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा था कि मुझे खुशी है कि अमेरिका हमें मदद कर रहा है. साथ ही यूरोपियन देश भी. हम रूस के खिलाफ कड़ा एक्शन ले सकते हैं. लेकिन हमें इसके लिए हथियार चाहिए. रसद चाहिए. अगर इसमें देरी हुई तो हमला भी धीमे होगा. इससे रूस को फायदा होगा. हमारा मकसद पूरा नहीं हो पाएगा.
इससे ठीक पहले अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क ए माइली ने कहा था कि यूक्रेन की फौज धीमे और रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है. हालांकि रूस के कब्जे वाले इलाकों पर यूक्रेन को फिर से कब्जा करने में समय लग रहा है. इसमें देरी से दिक्कत हो सकती है. यह जितना लंबा खिचेगा, उतना ही ज्यादा जानमाल का नुकसान होगा.
जनरल माइली ने कहा कि यूक्रेन की सेना बारूदी सुरंगों और गोलिल्ला युद्ध के जरिए रूस के सैनिकों को पिछाड़ रही हैं. अपनी जान की परवाह न करते हुए रूसी सैनिकों से आमने-सामने युद्ध कर रहे हैं. यह बात सही है कि जीत इन्हें ही मिलेगी लेकिन इसमें काफी समय लगेगा. यही तो युद्ध की प्रकृति है.