नई दिल्ली
बगावत के बाद अब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर भी नियंत्रण की तैयारी कर रहे हैं। खबर है कि वह जल्दी पार्टी चुनाव चिह्न 'घड़ी' और नाम के लिए भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI का रुख कर सकते हैं। खास बात है कि बीते साल ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने भी शिवसेना के तौर पर मान्यता हासिल करने के लिए इस प्रक्रिया का पालन किया था।
अगर अजित ने पार्टी के लिए दावा नहीं किया तो…?
फिलहाल, खबरें हैं कि अजित की तरफ से 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है। मान्यता हासिल करने के लिए उन्हें चुनाव आयोग में संख्या बल भी साबित करना होगा। अब एक मीडिया रिपोर्ट में शिवेसना के नेता के हवाले से बताया गया कि अगर अजित एनसीपी के लिए चुनाव आयोग के पास नहीं जाते हैं, तो चाचा शरद पवार कैंप उनके खिलाफ पार्टी के नाम और चिह्न के इस्तेमाल को लेकर कानूनी कार्रवाई की शुरुआत कर सकता है।
क्या होगी प्रक्रिया
जानकार बताते हैं कि अजित को एनसीपी के तौर पर मान्यता हासिल करने के लिए ईसीआई में आवेदन देना होगा। अगर डिप्टी सीएम दावा करते हैं कि उनका समूह ही एनसीपी है, तो उन्हें त्रिस्तरीय परीक्षण से भी गुजरना होगा। इसके तहत उन्हें पार्टी के मकसद और लक्ष्य के बारे में बताना होगा, दल की सदस्यता बतानी होगी, विधायकों और सांसदों की संख्या देनी होगी और साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले मतों का ब्योरा भी देना होगा।
एकनाथ शिंदे कर सकते हैं मदद
रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना के एक नेता का क हना है कि चुनाव आयोग से नाम और चिह्न हासिल करने में अजित की सीएम शिंदे खास मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'शिंदे ने बीते साल यह पूरी प्रक्रिया की थी। वह शिवसेना के नाम और चिह्न के लिए चुनाव आयोग गए थे। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ईसीआई ने फैसला सुनाया था कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ही असली शिवसेना है और चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया था।'