नई दिल्ली
भारत ने चीन की महत्वाकांक्षी 'बेल्ट एंड रोड' परियोजना (BRI) का मंगलवार को एक बार फिर समर्थन करने से इनकार कर दिया। इसी के साथ वह इस परियोजना का समर्थन नहीं करने वाला शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का एकमात्र देश बन गया। भारत की मेजबानी में वर्चुअल माध्यम से आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के अंत में जारी बयान में कहा गया कि रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने बीआरआई के प्रति अपना समर्थन दोहराया है।
बयान के मुताबिक, “चीन की 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) पहल के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करते हुए कजाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान गणराज्य और उज्बेकिस्तान गणराज्य ने संयुक्त रूप से इस परियोजना को लागू करने के लिए जारी काम पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन और बीआरआई के निर्माण को जोड़ने का प्रयास भी शामिल है।”
इसमें कहा गया है, “इन देशों ने इच्छुक सदस्य देशों द्वारा आपसी समझौतों के तहत राष्ट्रीय मुद्राओं की हिस्सेदारी में क्रमिक वृद्धि के रोडमैप को लागू करने के पक्ष में बात की।” घोषणा के अनुसार, सदस्य राज्यों ने 'इच्छुक सदस्य देशों' द्वारा अपनाई गई एससीओ आर्थिक विकास रणनीति 2030 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था, उच्च प्रौद्योगिकी एवं सड़क तथा रेल परिवहन के लिए मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मार्गों के आधुनिकीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परियोजनाओं को गति देना महत्वपूर्ण माना।
शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्पर्क को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि ऐसे प्रयास करते समय एससीओ चार्टर के बुनियादी सिद्धांतों, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना आवश्यक है। मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और संगठन के अन्य सदस्य देशों के नेता शामिल हुए।
शिखर सम्मेलन में ईरान को भी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का नया स्थायी सदस्य बनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रभावशाली समूह का पूर्ण सदस्य बनने पर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और वहां के लोगों को बधाई दी। मोदी ने कहा, “मैं इस मौके पर राष्ट्रपति रईसी और ईरान के लोगों को बधाई देता हूं। हम बेलारूस की एससीओ सदस्यता के लिए मेमोरेंडम ऑफ ऑब्लिगेशन पर हस्ताक्षर करने का भी स्वागत करते हैं।” उन्होंने कहा, “आज एससीओ में शामिल होने के लिए अन्य देशों की रुचि इस संगठन के महत्व का प्रमाण है।”
अपनी टिप्पणी में, रईसी ने उम्मीद जताई की कि एससीओ में ईरान की उपस्थिति सामूहिक सुरक्षा और सतत विकास के साथ-साथ देशों के बीच एकता हासिल करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी। शिखर सम्मेलन के समापन पर जारी एक घोषणा पत्र में कहा गया कि सदस्य देशों ने “एक पूर्ण सदस्य राष्ट्र के रूप में एससीओ में इस्लामी गणराज्य ईरान के प्रवेश के ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया।” घोषणा में कहा गया है, “उन्होंने एससीओ के सदस्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए बेलारूस गणराज्य द्वारा मेमोरेंडम ऑफ ऑब्लिगेशन पर हस्ताक्षर करने के महत्व को भी रेखांकित किया।” SCO की स्थापना 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा की गई थी। वर्ष 2017 में भारत के साथ-साथ पाकिस्तान भी इसका स्थायी सदस्य बना था।