नई दिल्ली
विदेश मंत्री एस. जयशंकर एनआईटी छात्रों से रूबरू हुए। विदेश मंत्री ने विद्यार्थियों से स्थानीय व वैश्विक घटनाक्रम को समझने का सुझाव दिया और कहा कि दुनिया में हो रही घटनाओं का सीधा असर हमारे जीवन पर भी पड़ता है। उन्होंने विदेश नीति के फायदे गिनाए और कहा कि प्रभावी विदेश नीति के बूते पर चीजों के दाम अनियंत्रित होने से रोकने में कामयाब रहे। अगर विदेश नीति में कुछ कमी रहती तो पेट्राेल, कुकिंग आयल जैसी चीजों के दाम और ज्यादा चुकाने पड़ते। उन्होंने यह भी बताया कि विदेश नीति में भी तकनीक की अहमियत है। भारतीय जनता पार्टी के जन संपर्क अभियान के तहत सोमवार को बकौली स्थित एनआईटी में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम के दौरान छात्र आयुष के प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री ने यह बात कही।
रूस-युक्रेन युद्ध पर भी बोले
डॉ. जयशंकर ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर कुछ दबाव बढ़ा है। लेकिन, ऐसा नहीं होने जा रहा कि रूस चीन की गोद में बैठ जाएगा। रूस के बारे में अन्य देश क्या सोचते हैं, इससे हमें कोई सरोकार नहीं है। भारत की जनता के हित में क्या है, इससे हमें सरोकार है। एक छात्र ने पूछा कि चिप व सेमी कंडक्टर के क्षेत्र भारत कब ताइवान की तरह सिरमौर बन पाएगा, इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि सेमी कंडक्टर को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास विजन है। इस क्षेत्र में देश तेजी से आगे बढ़ेगा। दक्षिण अफ्रिका में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के बारे में उन्होंने कहा कि समान विचारधारा के देशों से विभिन्न मुद्दों पर मंथन करेंगे। उन्होंने विदेश नीति में तकनीक काे महत्वपूर्ण बताया और कहा कि प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा इस बार अलग स्तर की रही। खासकर तकनीक के लिहाज से।
प्रधानमंत्री ने पहले मुलाकात एलन मस्क से की, इसके बाद टिम कुक, सुंदर पिचाई से मिले। प्रधानमंत्री के प्रयासों की बदौलत माइक्रोन ने टेस्टिंग सुविधा यहां बनाने की बात कही, लेम रिसर्च 60 हजार लोगों की ट्रेनिंग देगा। गूगल के सुंदर पिचाई ने भी ग्लोबल फिन टेक सेंटर खोलने में रूचि दिखाई है।उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य आज उन्हीं लोगों के हाथ में हैं जो तकनीक का इस्तेमाल जानते हैं और दुनिया की समझ रखते हैं।