नई दिल्ली
इस समय समान नागरिक संहिता (UCC) का मुद्दा पूरे देश में गर्म है। प्रधानमंत्री मोदी के हालिया बयान के बाद यह मुद्दे पर बहस तेज हो गई। कानूनी मामलों के संसदीय पैनल के अध्यक्ष और भाजपा सांसद सुशील मोदी ने यूसीसी में अपवाद की भी वकालत कर दी है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को इससे अलग रखा जाना चाहिए। वहीं पैनल के कुछ विपक्षी सदस्यों ने सवाल किया कि आखिर इस समय लॉ कमीशन ने इस मुद्दे पर सलाह का सिलसिला क्यों शुरू किया है।
विपक्षी सदस्यों ने कहा है कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा इसलिए उठाया गया है क्योंकि अगले ही साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा इसे तूल देकर सियासी फायदा उठाना चाहती है। लॉ कमीशन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पहली बार संसदीय स्थायी समिति की भी बैठक हुई जिसमें लॉ पैनल के प्रतिनिधियों और कानून मंत्रालय के विभागों की बात सुनी गई। बता दें कि पिछले महीने लॉ कमीशन ने एक पब्लिक नोटिस जारी करके यूसीसी से जुड़े अलग-अलग लोगों और संगठनों से उनके विचार मांगे थे। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना के संजय राउत ने इस सलाह के समय को लेकर सवाल किया तो वहीं कांग्रेस के सांसद विवेक तांखा और डीएमके सांसद पी विल्सन ने लिखित में इसपर आपत्ति जाहिर की। कांग्रेस सांसद ने कहा कि पहले के लॉ कमीशन भी यही बता चुके हैं कि यूसीसी फिलहाल जरूरी नहीं है।
सुशील मोदी ने की अपवाद की बात
सुशील मोदी ने कहा कि समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को बाहर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर कानून में कुछ अपवाद होते हैं। जैसे कि कई ऐसे केंद्र के कानून हैं जो कि उत्तर-पूर्व के राज्यों पर लागू नहीं होते हैं। भाजपा के महेश जेठमलानी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत की। सूत्रों का कहना है कि मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता से जुड़ा विधेयक संसद में पेश किया जा सकता है। यह सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। लॉ कमीशन के अधिकारियों ने कहा कि पब्लिक नोटिस जारी करने के बाद से 19 लाख प्रतिक्रियाएं मिल चुकी हैं। यह प्रक्रिया अभी 13 जुलाई तक चलती रहेगी। सूत्रों ने बताया कि इस पैनल में कुल 31 सदस्य हैं जिसमें से बैठक में 17 लोग ही हाजिर थे।