महासमुंद.
बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) से जन्म से ही स्वास्थ्य गत समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए जीवन दायिनी साबित हो रही है। जिले में अब तक 874 बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसमें 126 कटे-फटे होंठ एवं तालु, 195 क्लब फुट, 82 कंजेनाईटल केटेरेक्ट 21 न्युरल ट्यूब डिफेक्ट, 450 जन्मजात हृदय रोग (कंजेनाईटल हार्ट डीसिस) से पीड़ित बच्चों का सफल उपचार किया गया है।
योजना का उद्देश्य बच्चों में 4 प्रकार की परेशानियाँ जैसे डीफेक्ट एट बर्थ, डिसएबिलिटी डेवलेपमेन्टल डिलेस, डेफिसिएन्सी की जाँच एवं उपचार कर रोगों को आगे बढ?े से रोका जा सके। कार्यक्रम अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों जो कि आंगनबाड़ी व सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत है उन्हें शामिल किया गया है। कार्यक्रम अंतर्गत साल में 2 बार समस्त आॅगनबाडियों में दर्ज बच्चे एवं साल में 1 बार समस्त शासकीय विद्यालयों का भ्रमण कर समस्त बच्चों का प्रारंभिक स्वाथ्य जाँच किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पी. कुदेशिया ने बताया कि जाँच हेतु जिले में 9 समर्पित मोबाईल स्वास्थ्य टीम जिसमें 2 चिकित्सक, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेकनिशियन, 1 ए.एन.एम. की पदस्थापना की गई है जो कि कार्यक्रम अंतर्गत आने वाले 40 विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जाँच कर धनात्मक प्रकरणों को जिला स्तरीय एवं सर्जिकल प्रकरणों को उच्च चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैय्या करायी जाती है।
ऐसे ही बालक नीलकंठ निषाद थैलेसीमिया व स्प्लेनोमेगाली नामक बीमारी से ग्रसित था जो कि ग्राम तमोरा विकासखण्ड अंतर्गत बागबाहरा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में अध्ययन कर रहा था। चिरायु टीम द्वारा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला ग्राम तमोरा के समस्त बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कक्षा 7 वीं के विद्यार्थी नीलकंठ निषाद के स्वास्थ्य परीक्षण में पाया गया जिसमें हाथ पैर सामान्य के अपेक्षा पतले पाये गये व मरीज का पेट फुले होने के साथ आँखे थोड़ी बाहर की तरफ पायी गई। बालक के स्वास्थ्य संदेहास्पद स्थिति के देखकर चिरायु टीम कुछ विशेष द्वारा जिला अस्पताल में लाकर विशेष चिकित्सकीय दल द्वारा परामर्श व अन्य पैथोलॉजिकल जाँच करायी गई, जिसमें बालक के स्प्लीन बढ़े होने के साथ कठोर पायी गई व हीमोग्लोबिन की मात्रा भी कम पायी गई। सोनोग्राफी व अन्य सुक्ष्म परीक्षण के बाद बालक को थैलिसिमिया व स्प्लीनोमेगाली नामक रोग से ग्रसित पाया गया।
थैलेसीमिया व स्प्लेनोमेगाली एक गंभीर चुनौतीपूर्ण बीमारी है जिसे एक साधारण बी.पी. एल. परिवार को उच्च चिकित्सकीय संस्थान में इलाज कराया जाने के लिए एक विशेष मनोबल व शासन की तरफ से मिलने वाली विशेष सहायता दोनो ही आवश्यक है, ऐसे में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु योजना के अंतर्गत चिरायु टीम द्वारा समय-समय पर नीलकंठ को जिला स्तर व राज्य स्तरीय चिकित्सकीय संस्थान ले जाया जाता था जहाँ टीम के धैर्य एवं लगन के साथ कोरोना काल में भी नियमित राज्य के डी.के. एस. अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में उपचार कराये जाने में कभी भी बाधा उत्पन्न नहीं होने दिया। जिसके चलते 18 जनवरी 2023 में बालक का सफलतापूर्वक सर्जरी करायी गई जिसे कुछ दिनों आईसीयू में रहने के पश्चात् डिस्चार्ज कर दिया गया। अब नीलकंठ अपनी सामान्य सभी बालकों की तरह कक्षा 7 वीं में अध्ययनरत है व दिनचर्या के सभी काम खेल-कुद करने में सक्षम व खुश है।