नई दिल्ली
जीएसटी पोर्टल पर रिटर्न में इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर आ रही अनियमितता को टैक्सपेयर्स अब पोर्टल पर एक फॉर्म में समझ सकेंगे। अब तक विभाग नोटिस देता था, जिसका जवाब टैक्सपेयर लिखित में देता था। फिर कार्रवाई की जाती थी, जो लंबी प्रक्रिया थी। हाल में ऐसी सुविधा दी गई है, जिसमें जीएसटी आर-1 और आर-3बी के टैक्स में अनियमितता आती है तो टैक्सपेयर्स को तुरंत पोर्टल सिस्टम से नोटिस भेज दिया जाएगा। साथ ही पांच विकल्प दिए जाएंगे, जिनके माध्यम से टैक्सपेयर्स अपनी देनदारी में आए अंतर को समझा सके।
निर्धारित कारणों में से कोई भी कारण नहीं होता है तो ‘अन्य कारण’ के अंतर्गत टैक्सपेयर्स अपना कारण बता सकते हैं। तकनीकी त्रुटि से कम टैक्स भरा गया तो एक अन्य फॉर्म भरकर बकाया टैक्स टैक्सपेयर्स जमा करवा सकते हैं। अगर जीएसटीआर-1 में गलत जानकारी भरी गई है तो उसे सुधार भी सकते हैं। साथ ही पहले अधिक टैक्स भर दिया हो, इस कारण अभी कम भरा है तो यह भी वहां उस में स्पष्ट किया जा सकता है।
जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक नोटिस भेजे जाने के सात दिन में यह फॉर्म भरकर जवाब देना होगा। जवाब न देने पर टैक्सपेयर्स अगले महीने का अपना रिटर्न नहीं भर सकेंगे। वहीं, जवाब देने के तुरंत बाद रिटर्न भरने की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। इससे टैक्सपेयर्स को अधिकारी पर निर्भर नहीं रहना होगा जो एक बड़ा कदम है। इससे अनियमितता दूर करने प्रक्रिया भी छोटी होगी।
बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का होगा इस्तेमाल
उधर, सीबीआईसी के चेयरमैन विवेक जोहरी के मुताबिक जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को मजबूत करने के लिए कई तरह के तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब जीएसटी प्रणाली में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे जीएसटी पंजीकरण पाने के लिए अन्य लोगों के पैन और आधार का दुरुपयोग करने वाले धोखेबाजी पर नकेल कसी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि कर अधिकारी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के दायरे को सीमित करने के लिए जीएसटी रिटर्न फाइलिंग प्रॉसेस में कुछ और सख्ती पर भी विचार कर रहे हैं। जीएसटी टैक्स चोरी को देखते हुए केंद्र और राज्य के अधिकारियों की ओर से नकली जीएसटी पंजीकरण और टैक्स चोरी के अपराधियों को पकड़ने के लिए कई तरह के मुहिम चलाई जाती है।
कई लोग दूसरे व्यक्ति के पैन और आधार के जरिये भी जीएसटी की चोरी कर रहे हैं। इनपर नकेल कसना बेहद जरूरी है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अधिकारियों द्वारा सभी संस्थाओं की जियो-टैगिंग की योजना भी बनाई जा रही है। इससे यह प्रमाणित किया जा सकता है कि जीएसटी पंजीकरण के दौरान प्रदान की गई जानकारी सही है या नहीं। अभी तक बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और जियो-टैगिंग देश के कुछ कुछ राज्यों में चल रहा है। जल्द ही इसे पूरे भारत में लॉन्च किया जाएगा।
12,000 से ज्यादा मामले आए सामने
सीबीआईसी प्रमुख ने बताया कि फर्जी पंजीकरण के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान, जीएसटी अधिकारियों ने लगभग 12,500 फर्जी संस्थाओं की पहचान की है। ये फर्जी आईटीसी का दावा करने और सरकारी खजाने को धोखा देने के लिए किया जाता था। दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान जैसे कुछ स्थान हैं जहां फर्जी संस्थाएं बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। इसी के साथ गुजरात, नोएडा, कोलकाता, असम, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी जीएसटी पंजीकरण के साथ नकली व्यवसाय चल रहे हैं। मेटल या प्लास्टिक स्क्रैप और बेकार कागज से संबंधित व्यवसाय में फर्जी जीएसटी का ज्यादा मामले शामिल हैं।
परिषद की बैठक 11 जुलाई को
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि 11 जुलाई को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में फर्जी रजिस्ट्रेशन और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट को रोके जाने पर चर्चा हो सकती है। खबर है कि सीबीआईसी की ओर से काउंसिल को एक प्रेजेंटेशन दी जाएगी, जिसके बाद चर्चा होग।
सीबीआईसी ने लगभग 60 हजार कंपनियों को जांच के दायरे में रखा हुआ है। करीब 50 हजार करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पकड़े जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। फिजिकल वेरिफिकेशन को भी जरूरी किए जाने का प्रावधान किया जा सकता है। इस बात पर भी विचार हो रहा है कि फर्जी रजिस्ट्रेशन और फर्जी आईटीसी की पेनाल्टी को दोगुना कर दिया जाए। अब तक फर्जी तरीकों से करीब तीन लाख करोड़ रुपये की कर चोरी होने का अनुमान है। इसमें से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक टैक्स चोरी पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में ही की गई है।