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शपथ ग्रहण में मौजूद सांसद ने अब कहा- मैं शरद पवार के साथ

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 मुंबई

अजित पवार को शपथ लिए अभी चौबीस घंटे भी नहीं हुए थे कि उनके खेमे में सेंध लगती नजर आ रही है. एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे ने पाला बदलते हुए कहा है कि वह शरद पवार के साथ में हैं. कोल्हे वहीं सांसद हैं जो रविवार को राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में नजर आए थे.  कोल्हे का पाला बदलना अजित पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

कोल्हे का ट्वीट

शिरूर से एनसीपी के लोकसभा सांसद अमोल कोल्हे ने एक वीडियो ट्वीट करते  हुए लिखा, 'जब दिल और दिमाग में जंग हो तो दिल की सुनो. शायद दिमाग कभी कभी नैतिकता भूल जाता है … पर दिल कभी नहीं.' इस ट्वीट में उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सांसद सुप्रिया सुले, विधायक जंयत पाटिल और जितेन्द्र आव्हाण को भी टैग किया है.

अजित बोले सभी नेताओं का समर्थन मेरे साथ

 एनसीपी में कलह के बाद अजित पवार गुट ने दावा किया है कि उन्हें लगभग सभी विधायकों और नेताओं का समर्थन प्राप्त है. अजित पवार ने भी कल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यही बात कही. लेकिन असल में कई विधायकों और नेताओं ने शरद पवार के प्रति समर्थन भी जताया है. और कुछ ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. अगर अजित पवार को पार्टी के एक तिहाई विधायकों का समर्थन मिल जाता है तो उनके लिए पार्टी और सिंबल पर दावा करना आसान हो जाएगा. इसलिए दोनों गुटों की ताकत यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

अभी तक की स्थिति

अभी तक जो स्थित नजर आ रही है, उसके मुताबिक, अजित पवार को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या 24 है जबकि शरद पवार का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या 14 है. वहीं 15 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है.

उन विधायकों की सूची जो अजित पवार के साथ हैं और उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली-
-अजित पवार (बारामती)
-धनंजय मुंडे (परली)
-छगन भुजबल (येओला)
-दिलीप वाल्से पाटिल (अंबेगांव)
-अदिति तटकरे (श्रीवर्धन)
-हसन मुशरिफ़ (कागल)
-अनिल पाटिल (अमलनेर)
-धर्मरावबाबा अत्राम (अहेरी)
 -संजय बनसोडे (उद्गीत)

 वो विधायक( जिन्होंने अजित पवार के प्रति समर्थन जताया-
-सुनील टिंगरे (वडगांव शेरी)
-सुनील शेलके (मावल)
-अतुल बेंके( जुन्नार)
-अशोक पवार ( शिरूर)
-सरोज अहिरे (देवलाली)
-नरहरि ज़िरवाल ( डिंडोरी)
-इंद्रनील नाइक (पुसद)
-किरण लाहमाते (अकोले)
-नीलेश लंके (पारनेर)
-संग्राम जगताप (अहमदनगर शहर)
-शेखर निकम (चिपलून)
-दत्ता भरणे (इंडियापुर)
-अन्ना बंसोडे (पिंपरी)
-माणिकराव कोकाटे (सिन्नर)
-दीपक चव्हाण (फलटण)
 

जिन विधायकों ने शरद पवार के प्रति समर्थन जताया है
-जयन्त पाटिल ( वालवा)
-जीतेन्द्र आव्हाड( मुंब्रा)
-अनिल देशमुख ( काटोल)
-रोहित पवार ( कर्जत-जामखेड़)
-प्राजक्त तनपुरे (राहुरी)
-संदीप क्षीरसागर ( बीड शहर)
-दौलत दरोदा  (शाहपुर)
-नवाब मलिक (अणुशक्तिनगर)
-मकरंद पाटिल ( वाई)
-मानसिंह नाइक (शिराला)
-सुमनताई पाटिल (तासगांव)
-बालासाहेब पाटिल (कराड उत्तर)
-सुनील भुसारा (विक्रमगढ़)
-चेतन तुपे ( हडपसर)
 

जिन विधायकों ने अभी तक अपनी रणनीति तय नहीं की है
-राजेंद्र शिंगणे (सिंदखेड राजा)
-राजेंद्र कारेमोरे (तुमसर)
-मनोहर चंद्रिकापुरे (अर्जुनी मोरगांव)
-चंद्रकांत नवघरे (वसमत)
-राजेश टोपे (घनसावंगी)
-नितिन पँवार (कलवान)
-दिलीप बनकर (निफाड)
-दिलीप मोहिते (खेद आलंदी)
-आशुतोष काले( कोपरगांव
-प्रकाश सोलंखे (माजलगांव)
-राजेश पाटिल (चांदगढ़)
-यशवंत माने (मोहोल)
-बबन शिंदे (माधा)
-बाबासाहेब पाटिल (अहमदपुर)
-बालासाहेब अजाबे (आष्टी)

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले रविवार को महाराष्ट्र की सियासत में उस समय हड़कंप मच गया जब एनसीपी के कद्दावर नेता अजित पवार ने 18 विधायकों के साथ शिंदे सरकार का दामन थाम लिया. उन्होंने 8 विधायकों संग मंत्रीपद की शपथ ली और महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम बन गए. उनके इस कदम से एनसीपी और शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. अब एनसीपी ने अजित पवार और उन 8 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना लिया है, जिन्होंने शिंदे सरकार में शपथ ली है.

पहले से थी तैयारी: प्रफुल्ल पटेल

एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जो हुआ उसको लेकर पहले से बात चल रही थी और इसे लेकर प्लानिंग थी. उन्होंने ये साफ करने की कोशिश की रविवार को लिया गया फैसला सिर्फ सत्ता के लिए नहीं है, बल्कि ये स्थिरता की बात थी और इससे कहीं अधिक ये फैसला महाराष्ट्र और राज्य के विकास के हित में लिया गया है. आजतक से खात बातचीत करते हुए एनसीपी वर्किंग प्रेसिडेंट ने अजित पवार के बगावती फैसले को लेकर अपनी राय पेश की और कहा कि शिवसेना और बीजेपी में कोई फर्क नहीं है. इसमें कोई दोराय नहीं कि कुछ समय से एनसीपी में ये चर्चा जारी थी कि एनडीए में जाना चाहिए. इसलिए नहीं कि ये सत्ता की बात थी. शिवसेना और एनसीपी के साथ सरकार बनाना हमारा कोई नेचुरल अलायंस नहीं था. शिवसेना बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. राजनीति में कम ज्यादा बातें नहीं होती. उस वक्त ऐसा हुआ. मेरे हिसाब से वो प्राकृतिक गठबंधन नहीं था.