पटना
भारतीय राजनीति के माहिर खिलाड़ी कहे जाने वाले शरद पवार रविवार को अपने ही भतीजे अजित पवार की चाल में फंसते नजर आए। अजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में बगावत कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार के साथ चल दिए। इतना ही नहीं उनके साथ करीब 40 विधायकों का समर्थन होने का भी दावा किया जा रहा है। सवाल है कि NCP में थमते नजर आ रहे बवाल में अचानक यह उबाल कैसे आया। खबरें हैं कि अजित लंबे समय से इसकी पटकथा लिख रहे थे।
कहां पड़ा बगावत का बीज
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि रविवार का सियासी नजारा 10 जून को NCP में हुए फेरबदल का नतीजा था। उस दौरान सीनियर पवार ने बेटी सुप्रिया सुले और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। खास बात है कि NCP में दूसरे नंबर के नेता कहे जाने वाले अजित के लिए पवार ने कोई भूमिका तय नहीं की थी। हालांकि, तब अजित राज्य में विपक्ष के नेता थे। एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस पर अजित ने संकेत दिए कि वह नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ना चाहते हैं। साथ ही पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं, लेकिन तब शरद पवार ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पवार के करीबी कहे जाने वाले जयंत पाटिल यह पद संभाल रहे थे। इससे पहले भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि अजित एनसीपी को महाविकास अघाड़ी के बजाए भारतीय जनता पार्टी के साथ ले जाना चाहते हैं।
ऐसे लिखी गई स्क्रिप्ट
अजित के एनडीए को समर्थन देने की कहानी महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है। कहा जा रहा है कि उन्होंने 20 जून को गुजरात के अहमदाबाद में भाजपा के एक बड़े नेता से मुलाकात की थी। इसके बाद 29 जुलाई को सीएम शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राजधानी दिल्ली का रुख किया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी इस फेरबदल का बड़ा किरदार माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, तब शिंदे और फडणवीस ने शाह से मुलाकात की थी। बैठक में अजित और एनसीपी को लेकर बड़ी चर्चा की गई थी और शिंदे और फडणवीस को पूरी प्लानिंग के बारे में बताया गया था। अंत में 2 जुलाई को इस पूरी योजना को अमल में लाया गया और अजित चार सालों में तीसरी बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने।
वहां विपक्ष को जोड़ रहे थे पवार, यहां संकट में आ गया परिवार!
23 जून को बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी एकता को लेकर बड़ी बैठक हुई थी, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी समेत 15 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में सीनियर पवार भी बेटी सुले के साथ पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि जिस वक्त पवार पटना में थे, तब अजित ने भाजपा के साथ संपर्क साधकर एनसीपी में फूट की योजना तैयार कर ली थी।