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राजनीति के चाणक्य शरद पवार के साथ ही हो गया खेल! पांव के नीचे से जमीन ही खींच ले गाए …

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मुंबई

महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार एक बार फिर बहुत बड़ा उलटफेर हुआ है। इस बार बड़ी चोट लगी है सियासत के चाणक्य माने जाने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार को। अब एनसीपी के चीफ कब तक रहेंगे इसको लेकर भी सवाल हैं। शरद पवार के भतीजे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार बागी हो गए हैं। अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल होते हुए डिप्टी सीएम बन गए। अजित पवार के साथ कई दूसरे एनसीपी नेताओं ने भी मंत्रीपद की शपथ ली।

अजित पवार के साथ पार्टी के कई विधायक और सांसद बताए जा रहे हैं। साथ ही साथ अजित पवार ने पार्टी पर भी दावा ठोक दिया है। महाराष्ट्र में एनसीपी के अंदर 'महाभारत' शुरू है और इसमें बड़ी अजीब स्थिति हो गई है 82 साल के शरद पवार की। शरद पवार ने अब तक अपने राजनीतिक दांव पेच से विरोधियों को मात दी थी। महाराष्ट्र हो या दिल्ली… लेकिन उम्र के इस पड़ाव में सियासत का इतना बड़ा खेल उन्हीं के साथ हो जाएगा क्या पता।

इस्तीफा देने का दांव कामयाब न हो सका

ज्यादा दिन नहीं हुए जब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। इसी साल मई के पहले हफ्ते की बात है जब शरद पवार ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। साथ ही एक कमेटी के गठन की बात की और उसके लिए यह कहा गया कि कमेटी ही तय करेगी कि नया अध्यक्ष कौन होगा। शरद पवार ने जब यह फैसला किया तो इसका पता पार्टी के बहुत लोगों को नहीं था। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले, भतीजे अजित पवार और दो लोगों को इस बारे में पता था।

इस्तीफे को लेकर ऐसी खबरें सामने आई कि अजित पवार बगावत कर सकते हैं और बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। शरद पवार को यह बखूबी पता था कि पार्टी में फूट पड़ती है तो शिवसेना वाली हालत हो सकती है। इलेक्शन कमीशन ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी वापस ले लिया था। इसलिए पवार ने इस्तीफे का दांव चला है। इस बीच पार्टी के नेताओं ने एकसुर में कहा कि नेता आप ही हैं। इस्तीफा वापस लेने की मांग होती है और वह आखिरकार मान जाते हैं।

2 मई को इस्तीफा और 3 दिन बाद ही 5 मई को इस्तीफा वापस लेने की घोषणा होती है। राजनीति के जानकारों का कहना था कि पार्टी पर पकड़ मजबूत बनाने के लिए यह दांव पवार की ओर से चला गया। हालांकि यह दांव कामयाब नहीं हुआ और दो महीने के अंदर ही पार्टी में फूट पड़ गई।

 

बेटी या भतीजा… परिवार की यह लड़ाई सुलझा न सके पवार

यह पहली बार नहीं है जब अजित पवार ने बगावत की हो। अजित पवार इसके पहले भी बगावत कर चुके हैं। वह बीजेपी के पाले में पहले भी जा चुके हैं। शरद पवार को पहले ही इस बात की भनक थी कि ऐसा आगे भी हो सकता है। 2019 की बगावत शरद पवार भूले नहीं थे इसलिए उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया।

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बेटी सुप्रिया सुले की ताजपोशी कर दी। पार्टी के इस बड़े फैसले से कहीं न कहीं अजित पवार खुश नहीं थे। शरद पवार ने इस तरह के सवालों पर कहा कि अजित पवार के पास पहले से जिम्मेदारियां हैं और सुप्रिया सुले अनुभवी सांसद है। वह पार्टी की जिम्मेदारी उठाने को तैयार हैं। शायद तब शरद पवार यह नहीं भांप सके कि भतीजे अजित पवार इतनी जल्दी ऐसा कदम उठाएंगे। देखा जाए तो पार्टी के साथ ही साथ यह परिवार का भी झगड़ा है और इसे सुलझाने में शरद पवार पूरी तरह से नाकाम हो गए।

 

शरद पवार के लिए पिछले कुछ वर्षों में नहीं आई एक भी अच्छी खबर
82 साल के शरद पवार 1960 से ही राजनीति में सक्रिय हैं। पिछले इन छह दशकों में महाराष्ट्र की राजनीति शरद पवार के इर्द गिर्द घूमती रही है। इस दौरान न केवल महाराष्ट्र बल्कि केंद्र की राजनीति में उनका दखल देखने को मिला। 1999 में में पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया और कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई। महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री और फिर केंद्र का सफर। शरद पवार ने राजनीतिक जीवन में कई सफलताएं अर्जित की।

हालांकि कुछ वर्षों में शरद पवार के लिए एक भी अच्छी खबर नहीं आई। पहले तो महाराष्ट्र से 2022 में महाविकास अघाड़ी की सरकार चली जाती है। महाविकास अघाड़ी के पीछे शरद पवार का ही दिमाग था। सरकार में एनसीपी भी शामिल थी लेकिन सरकार चली गई। उसके बाद इसी साल अप्रैल महीने में शरद पवार की पार्टी से चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन लिया। यह भी शरद पवार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था और अब एक बड़ी बगावत सामने आ गई।

शिवसेना वाली ही कहानी, पार्टी पर अजित पवार ने ठोका दावा
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ लेते ही अब अजित पवार पूरी तरह से एनसीपी पर पकड़ बनाना चाहते हैं। अजित पवार ने पार्टी पर दावा करते हुए कहा कि एनसीपी के लगभग सभी विधायक हमारे संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि एनसीपी के तौर पर ही इस सरकार को समर्थन दिया है हमने अलग पार्टी नहीं बनाई है।

आगे महाराष्ट्र के सभी चुनाव हम एनसीपी के चिन्ह पर ही लड़ेंगे। इसका सीधा-सीधा मतलब हुआ कि अब पार्टी शिवसेना वाली राह पर है। पार्टी को लेकर झगड़ा बढ़ेगा लेकिन विधायक-सांसद अजित पवार के साथ अधिक होंगे तो पलड़ा भतीजे अजित पवार का ही भारी होगा। शरद पवार इस महाभारत में पिछड़ते नजर आ रहे हैं और इस वक्त पार्टी उनके हाथ से जाती है तो यह उनकी एक बहुत बड़ी हार होगी।