नईदिल्ली
फिल्म '72 हूरें को लेकर अभी विवाद का सिलसिला थमा नहीं है। इस बीच अब दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्लाय (Jawaharlal Nehru University) में इस फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग कराने की तैयारी है। 4 जुलाई को जेएनयू (JNU) में फिल्म '72 हूरें' की स्क्रीनिंग कराने का ऐलान फिल्म के निर्माताओं ने किया है। जब कभी किसी विवादित फिल्म की जेएनयू में स्क्रीनिंग की जाती है तो इसपर एक नया विवाद छिड़ जाता है। इस फिल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने किया है। इस फिल्म को 7 जुलाई को सिनेमाघऱों में रिलीज किया जाएगा। फिल्म के निर्माता ने जेएनयू में ''72 हूरें'' की विशेष स्क्रीनिंग के बारे में कहा, ''यह कश्मीरी मुसलमानों और अन्य छात्रों के लिए एक फिल्म के प्रति अपने विचार और प्रतक्रियिा व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण क्षण प्रस्तुत करता है जो आतंकवादी शिविरों की भयानक वास्तविकता को उजागर करता है।
इससे पहले, फिल्म के निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने टप्पिणी की थी, 'अपराधियों द्वारा दिमाग में धीमी गति से जहर डालने से सामान्य व्यक्ति आत्मघाती हमलावर बन जाते हैं। याद रखें कि हमारे जैसे परिवारों के साथ हमलावर खुद भी आतंकवादियों नेता की विकृत मान्यताओं और ब्रेनवॉशिंग का शिकार हो गए हैं।' 72 कुंवारियों के घातक भ्रम में फंसकर, वे विनाश के रास्ते पर चल पड़ते हैं और अंततः एक भयानक भाग्य का सामना करते हैं। निर्माता गुलाब सिंह तंवर ने साझा किया, ''किसी ऐसे प्रोजेक्ट का समर्थन करना कमजोर दिल का काम नहीं है जो भावनात्मक रूप से इतना भारी हो। 72 हुरें यह दिखाने का सही तरीका था कि कैसे धर्म के नाम पर, काल्पनिक कहानियां नर्दिोष और सामान्य लोगों को बेची गईं लोगों को क्रूर आतंकवादियों में बदलने के लिए। अब समय आ गया है कि सच क्या है बताया जाए।''
'द केरल स्टोरी' के बाद आतंकवाद के खिलाफ हाल ही में बनी '72 हूरें' दूसरी ऐसी फिल्म है जिसपर विवाद हुआ है। '72 हूरें' को लेकर कुछ मुस्लिम धार्मिक नेताओं और राजनीतिक हस्तियों ने ऐतराज जताया है। फिल्म के खिलाफ तर्क देने वाले लोगों का मानना है कि इससे इस्लामी समुदायों की भावना आहत होती है लिहाजा इसे सिनेमाघरों में रिलीज नहीं होने देना चाहिए। आपको बता दें कि हाल ही में फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर भी काफी बवाल मचा था। फिल्म के कुछ डायलॉग को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी।