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दुनिया के खूंखार आतंकी संगठन आईएस ने भारत के लिए रची थी रोबोटिक्स साजिश

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नई दिल्ली

पहले कहा जाता था कि अनपढ़ युवाओं को बरगलाकर आतंकी बनाया जाता है लेकिन एनआईए की चार्जशीट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जी हां, देशभर में आतंकी हमले करने के लिए आतंकी संगठन ISIS ने शिक्षित युवाओं की भर्ती कर उन्हें रोबोटिक्स की पढ़ाई करने को कहा था। ऐसे में ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि IS कैसे रोबोट टेक्नोलॉजी तक पहुंच बनाना चाहता है।

कुल 9 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। हैरानी की बात यह है कि इसमें पांच मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। कर्नाटक के शिवमोगा केस की जांच में पता चला है कि इस्लामिक स्टेट ने भारत में अपने एजेंडे को कामयाब करने के लिए युवाओं को हमले के लिए रोबोटिक्स का कोर्स करने को कहा था। विदेश में बैठे IS के आकाओं (हैंडलर) ने इस रोबोटिक्स षड्यंत्र के लिए जिन युवाओं को चुना था, ज्यादातर की उम्र 22-23 साल है।

22 से 32 साल के आतंकी
NIA ने शुक्रवार को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। आरोपियों में मोहम्मद शरीक (25), माज मुनीर अहमद (23), सैयद यासिन (22), रीशान थाजुद्दीन शेख (22) हुजैर फरहान बेग (22), माजिद अब्दुल रहमान (22), नदीम अहमद (22), जीउल्लाह (32) और नदीम फैजल एन (27) शामिल हैं।

कट्टरता की पिलाई घुट्टी और...
एनआईए ने बताया कि ये सभी कर्नाटक के रहने वाले हैं। शरीक, मुनीर और यासिन ने इस्लामिक स्टेट के निर्देश पर भारत में आतंकी वारदात के लिए आपराधिक साजिश रची थी। इन तीनों ने देश की सुरक्षा, एकता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के मकसद से बाकी आरोपियों को कट्टरपंथ की घुट्टी पिलाई और आतंकी संगठन में भर्ती की। इन लोगों पर कर्नाटक के शिवमोगा में आईईडी ब्लास्ट का ट्रायल करने, कई टारगेट को निशाना बनाने, संपत्तियों और गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने का आरोप है।

क्रिप्टोकरेंसी से आया पेमेंट
इस केस में मुनीर और यासिन के खिलाफ मार्च में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इन पढ़े-लिखे युवाओं ने भारत के खिलाफ साजिश रची। NIA ने बताया है कि इनके आकाओं ने ऑनलाइन क्रिप्टोकरेंसी के जरिए आरोपियों तक पैसे पहुंचाए। पिछले साल 19 नवंबर को शिवमोगा ग्रामीण पुलिस ने यह मामला दर्ज किया था। बाद में 15 नवंबर को एनआईए ने जांच अपने हाथ में ले ली।