रायपुर
मालूम है कि टमाटर का भाव 100 रुपए किलो है फिर भी लोगों का मन नहीं मान रहा है बाजार जा रहे हैं और सब्जी बेंचने वाले से पूछते हैं क्या भाव? चूंकि टमाटर का हर सब्जी के साथ याराना है,इसलिए लोगों को अब मन मसोसना पड़ रहा है क्योकि इतना महंगे भाव पर आखिर कैसे खरीदे। स्थानीय आवक तो है नहीं बाहरी राज्यों की आवक पर निर्भर विक्रेताओं के पास 10 फीसदी माल ही पहुंच पा रहा है। बढ़े भाव पर वे भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसलिए बाजार और रसोई दोनों से टमाटर गायब है। लगता नहीं है कि एकाध माह तक भाव कुछ नीचे आ पायेंगे। रायपुर या छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ में किसानों ने पहले की तुलना में टमाटर की पैदावार लेना कम कर दिया है इसलिए कि अब यह उनके लिए फायदे का धंधा नहीं रहा। जानकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में ही टमाटर की 17 हजार एकड़ की खेती 11 हजार एकड़ में सिमट गई। वहीं दूसरी ओर इस मौसम में छत्तीसगढ़ में टमाटर की खेती नहीं होती है। जो नया फसल है उसे आते-आते सितंबर या अक्टूबर प्रथम तक इंतजार करना होगा। हालांकि कर्नाटका व आंध्रा से बड़े पैमाने पर टमाटर छत्तीसगढ़ आते हैं। वह भी इन दिनों नहीं आ रहे हैं क्योकि भाव इतना है कि लोगों की जब डिमांड नहीं है तो व्यापारी क्या करेंगे मंगा कर? 80 फीसदी ग्राहकों ने तो खरीदना ही बंद कर दिया है।
यहां टमाटर आंध्रप्रदेश और कर्नाटक से आता है। पिछले साल 300 ट्रक रोजाना की खपत थी। इस साल आवक ही कम है तो प्रदेश में बड़ी मुश्किल से 30 ट्रक आ रहे हैं। रायपुर में तो 6-7 ट्रक ही है। व्यापारी कहते हैं- टमाटर इतना महंगा है कि लोगों ने खरीदना कम कर दिया। डिमांड और सप्लाई में बड़ा गैप आ गया। इसलिए दाम आसमान छूने लगे। डूमरतराई सब्जी मंडी के अध्यक्ष टी. श्रीनिवासन रेड्डी भी स्वीकार रहे हैं कि टमाटर के भाव ने हलाकान कर दिया है। रायपुर में रोजाना 20 गाड़ी टमाटर की खपत थी, आज 6-7 गाड़ी माल ही आ रहा है। महंगाई के कारण लोग कम खरीद रहे।
जब तक स्थानीय आवक शुरू नहीं होगी,भाव नहीं घटेंगे। यदि भाव कम भी हो गए तो 40-50 से नीचे नहीं आने वाला इसलिए लाल-पीला होने के बजाय और दूसरी सब्जी पर निर्भरता बढ़ाने में ही खैरियत है।