नई दिल्ली
संसद के मॉनसून सत्र की तारीखों का ऐलान हो गया है। इस बार 20 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक मॉनसून सेशन चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया है कि 23 दिन तक चलने वाले इस सत्र में कुल 17 बैठकें होंगी। सरकार की तरफ से उन्होंने सभी पार्टियों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और अन्य कामकाज में रचनात्मक योगदान देने की अपील की है। दरअसल पिछले सत्र में संसद में हंगामे के चलते कामकाज काफी प्रभावित हुआ था। इस बार भी संसद का मॉनसून सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह स्पष्ट रूप से समान नागरिक संहिता की वकालत की है, उसके बाद कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं। बताया जा रहा है कि मॉनसून सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी और बाद में नए संसद भवन में बैठक शिफ्ट हो सकती है। मॉनसून सत्र के बारे में अपने मन में उठ रहे सवालों के जवाब जान लीजिए।
भारत की संसद के तीन प्रमुख सत्र होते हैं। बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र। आमतौर पर मॉनसून के सीजन का सत्र सबसे छोटा होता है। जुलाई से सितंबर के बीच होने वाले मॉनसून सत्र के समय देश में मॉनसूनी बारिश हो रही होती है इसीलिए इसे मॉनसून सेशन कहा जाता है।
मॉनसून सत्र में सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश से संबंधित बिल, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023, बहु-राज्य सहकारी समितियों पर कानून को संशोधित करने वाला बिल भी आ सकता है। इसके अलावा समान नागरिक संहिता पर भी बिल आ सकता है।
लोकसभा में मोदी सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसे समर्थन जुटाना होगा। जैसे समान नागरिक संहिता पर अगर बिल आता है तो उसे 1-2 नए सहयोगियों की जरूरत होगी। इधर, सरकार NDA के कुनबे को फिर से मजबूत करने की कोशिशों में जुट गई है, जिसका फायदा उच्च सदन में बिलों को पास कराने में मिल सकता है।
मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश’ की जगह लेने के लिए विधेयक ला सकती है। इस पर सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी नाराज है। यह नया कानून सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को विधायी और प्रशासनिक नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी कर देगा।
जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कॉमन सिविल कोड की जरूरत पर बल दिया, उससे साफ हो गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इस दिशा में आगे बढ़ सकती है। चर्चा है कि बिल मॉनसून सत्र में आ सकता है।