पेरिस
फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत पूरा देश पिछले 3 दिनों से खतरनाक हिंसा की चपेट में है. 17 साल के युवक नाहेल की मौत के बाद फ्रांस में आज जो हो रहा है, उसे पिछले एक दशक का सबसे भयानक दंगा बताया जा रहा है. प्रदर्शनकारी यहां खुलेआम अंधाधुंध फायरिंग कर रहे हैं. हालात इस कदर बेकाबू हो चुके हैं कि प्रदर्शनकारियों के मन में पुलिस का कोई खौफ नहीं है. प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई लूटपाट और आगजनी में अरबों का नुकसान हो चुका है.
लूटपाट पर आमादा हैं दंगाई
प्रदर्शनकारी इस वक्त सबकुछ जलाने पर आमादा हैं, उनसे अब कोई चीज सुरक्षित नहीं बची है. फ्रांस में इस दंगे को रोकने के लिए 50 हजार पुलिसवाले तैनात किए गए हैं. लेकिन प्रदर्शनकारियों को किसी का खौफ नहीं है. वो लूटपाट पर आमादा हैं, भले ही इसके लिए तेज रफ्तार कार से शॉपिंग मॉल का गेट ही तोड़ना क्यों न पड़े.प्रदर्शनकारी दरवाजा तोड़ने के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं और जैसे ही दरवाजा टूटता है भीड़ अंदर घुसने लगती है.
कई शहरों में कर्फ्यू
एक आरएटीपी ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर ने कहा कि पेरिस क्षेत्र की बस और ट्राम लाइनें शुक्रवार को पूरी तरह बाधित रहीं. एक डिपो में रात भर में एक दर्जन वाहनों को आग लगा दी गई और कुछ मार्ग अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त हो गए. पूर्वी शहर स्ट्रासबर्ग में शुक्रवार को दिनदहाड़े लूटपाट हुई, जहां दंगाइयों ने एक एप्पल स्टोर और अन्य दुकानों को निशाना बनाया. पर्यटकों के बीच लोकप्रिय विएक्स-पोर्ट जिले में युवाओं द्वारा पुलिस वाहनों पर पथराव के बाद पुलिस ने शुक्रवार शाम को दक्षिणी शहर मार्सिले में आंसूगैस का इस्तेमाल किया.पेरिस क्षेत्र के कम से कम तीन शहरों और देश के अन्य कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया.
सरकार ने उठाए कदम
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से वापस आकर एक आपातकालीन बैठक की और युवक की मौत की निंदा की. प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न ने देश भर में बड़े पैमाने पर होने वाले कार्यक्रमों – को रद्द करने की घोषणा की. लगातार हो रही हिंसा के बाद कुछ मार्गों पर बसों और ट्रामों ने रात 9:00 बजे के बाद चलना बंद कर दिया है. सरकार ने बड़े पटाखों और ज्वलनशील तरल पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
क्यों भड़की हिंसा
फ्रांस में ये हिंसा मंगलवार को भड़की, जिसकी वजह राजधानी पेरिस से लगे नानटेरे में 17 साल के लड़के की गोली लगने से हुई मौत है. पुलिस का कहना है कि मरने वाला नौजवान कथित तौर पर गलत तरीके से कार चला रहा था. उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था. जब उसने भागने की कोशिश की तो गोली चलानी पड़ी. मरने वाला नाबालिग अफ्रीकी मूल का था.लेकिन पुलिस की पोल वारदात के वीडियो ने खोल दी.वीडियो में साफ-साफ दिखता है कि नानटेरे की एक सड़क पर दो पुलिस अफसर पीले रंग की कार को रोक कर बातचीत करते हैं. इस दौरान कुछ बहस होती है और ड्राइवर अचानक कार को तेजी से दौड़ाता है. तभी पुलिस अफसर ड्राइवर के सिर में गोली मार देता है और ये कार आगे जाकर दीवार से टकरा जाती है. 17 साल का नाबालिग मौके पर दी दम तोड़ देता है.
पुलिस ने बोला झूठ
पुलिस का दावा है कि मरने वाले नाबालिग लड़के के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और पुलिस ने जब उसे रोका तो उसने अफसर को कुचलने की कोशिश की. लेकिन घटना के वीडियो ने पुलिस को गलत साबित कर दिया और लोगों का गुस्सा भड़क उठा और पेरिस समेत पूरे फ्रांस में आगजनी और लूटपाट शुरू हो गई.फ्रांस में दंगे फसाद होते रहते हैं. कभी यहां पर फुटबॉल के खेल में मोरक्को की हार पर हिंसा होती है, तो कभी पेंशन रिफॉर्म बिल पर हंगामा हो जाता है.
' युवा' दंगाई
मैक्रॉन ने अभिभावकों से कम उम्र के दंगाइयों की ज़िम्मेदारी लेने का आग्रह किया है. कहा जा रहा है कि दंगाईयों की भीड़ में एक तिहाई लोग युवा या नाबालिग हैं. मैंक्रॉन ने टिकटॉक और स्नैपचैट जैसी सेवाओं के माध्यम से फैली अपराध प्रेरित हिंसा को रोकने के लिए लोगों से अपील की है.
नाहेल की मां के आरोप
गोलीबारी के बाद अपने पहले मीडिया साक्षात्कार में, नाहेल की मां मौनिया ने फ़्रांस के टीवी चैनल से बात करते हुए कहा: 'मैं पुलिस को दोष नहीं देती, मैं एक व्यक्ति को दोषी ठहराती हूँ: जिसने मेरे बेटे की जान ले ली.'उन्होंने कहा कि 38 वर्षीय आरोपी पुलिस अधिकारी पर हत्या का आरोप लगाया, जिसे गुरुवार को हिरासत में लिया गया था. मौनिया ने कहा , 'जिस पुलिसवाले ने गोली मारी. उसने एक अरब चेहरा देखा, एक छोटा बच्चा देखा और उसकी जान लेना चाहता था.'
सब कुछ तबाह
पेरस में हिंसा से बस ट्रांसपोर्ट ठप हो गया है और दर्जनों बसें तबाह हो चुकी हैं. प्रदर्शनकारियों के निशाने पर दुकान, दफ्तर, बैंक, शॉपिंग मॉल, लाइब्रेरी और स्कूल हैं. हालात बिगड़ते देख फ्रांस की पीएम ने मंत्रियों के साथ बैठक के बाद ऐलान किया कि वो फ्रांस में इमरजेंसी भी घोषित की जा सकती हैं. दंगे के तीसरे ही दिन 249 पुलिसवाले जख्मी हुए वहीं पुलिस ने 875 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस हिंसा फैलने के लिए सोशल मीडिया और बच्चों की खराब परवरिश को दोष दिया है.