सनातन धर्म में सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना गया है. यह माह भगवान शिव को समर्पित है. वहीं इस बार सावन माह में अधिकमास पड़ रहा है. अधिकमास को पुरुषोत्तम मास या मलमास के नाम से भी जाना जाता है. अधिकमास में भगवान विष्णु की अराधना की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि ये महीना भगवान विष्णु की कृपा पाने का विशेष महीना माना जाता है. आपको बता दें, इस बार अधिकमास पर एक अद्भुत संयोग बनने जा रहा है और ये 19 साल बाद बन रहा है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि अधिकमास पर कैसा संयोग बन रहा है, साथ ही अधिक मास क्यों पड़ता है.
अधिकमास पर बनने जा रहा है अद्भुत संयोग
हिंदू पंचांग में इस बार सावन का अधिक मास दिनांक 18 जुलाई शुरू हो रहा है और इसका समापन दिनांक 16 अगस्त को होगा. इससे पहले ऐसा संयोग साल 2004 में सावन माह में आया था और उस समय भी अधिकमास की शुरुआत दिनांक 18 जुलाई से शुरू होकर, इसका समापन दिनांक 16 अगस्त तक चला था.
जानें अधिकमास कैसे पड़ता है?
हिंदू धर्म में सौर मास और चंद्र मास के हिसाब से ही गणनाएं होती है. चंद्र वर्ष कुल 355 दिन का होता है और सौर वर्ष 365 दिन का होता है. इसलिए एक साल में चंद्र और सौर वर्ष में 10 दिन का अंतर होता है. 3 साल का ये अंतर बढ़तक 10 से 11 दिन का हो जाता है. इस बार अधिकमास सावन में पड़ रहा है. जिससे सावन महीने एक महिने की बजाय दो महीने का होगा. इसलिए इस बार सावन सोमवार भी 4 की बजाय 8 होंगे.
अधिकमास होने के कारण सभी त्योहारों में होगी देरी
अधिकमास होने के कारण इस बार जुलाई महीने के बाद पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की तुलना में 15 से 20 दिम की देरी होगी. जैसे कि रक्षाबंधन का त्योहार 10 से 15 अगस्त के बीच पड़ता है, लेकिन इस साल यह 31 अगस्त को पड़ेगा. इसके अलावा गणेशोत्सव, पितृ पक्ष, नवरात्रि, दशहरा और दिवाली भी 15-20 दिन देरी से पड़ेंगे.