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खाने की टेस्टी चीजें बढ़ा सकती हैं कैंसर का खतरा- WHO की चेतावनी

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नईदिल्ली
अगर आप फिटनेस फ्रीक व्यक्ति हैं और अपनी चाय से चीनी के साइड इफेक्ट्स दूर करने के लिए आर्टीफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं। तो WHO ने आप जैसे लोगों को एक चेतावनी दी है। WHO की मानें तो आप अनजाने में अपनी सेहत को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। जी हां, खाने-पीने की चीजों को बनाने वाली कई कंपनियां अपने आइटम्स में चीनी की जगह कई तरह के आर्टीफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करती हैं। जिसमें सबसे ज्यादा एस्पार्टेम (Aspartame) मौजूद होता है।

एस्पार्टेम में कोई कैलोरी नहीं होती है और यह साधारण चीनी की तुलना में 200 गुणा मीठा होता है। सॉफ्ट ड्रिंक में लगभग 95 फीसदी एस्पार्टेम का इस्तेमाल होता है। WHO ने चेतावनी दी है कि खाने पीने की चीजों में यह कृत्रिम मिठास कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती है। आर्टीफिशियल स्वीटनर से भरी इन चीजों में डाइट कोक और चूइंग गम का नाम सबसे पहले आता है।

ऐसे में इस जानलेवा रोग से बचने के लिए यह जानना और भी ज्यादा  जरूरी हो जाता है कि खाने की आखिर कौन-कौन सी चीजों में आर्टीफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा सीके बिड़ला अस्पताल, (गुरुग्राम) की मेडिकल ऑन्कोलॉजी सलाहकार, डॉ. पूजा बब्बर से भी जानेंगे कि आखिर इसे लेकर किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।

क्या कहता है शोध-
 पिछले साल फ्रांस में एस्पार्टेम के प्रभावों को लेकर एक लाख से अधिक लोगों पर एक रिसर्च की गई थी। इस रिसर्च में सामने आया था कि जो लोग आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं, उनमें कैंसर का रिस्क ज्यादा रहता है।

खाने की ये टेस्टी चीजें बढ़ा सकती हैं कैंसर का खतरा-
खाने की इन चीजों को बनाने के लिए इनमें आर्टीफिशियल स्वीटनर एस्पार्टेम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। जैसे की-

  • -डाइट कोका कोला कोक
  • -ट्राइडेंट शुगर-फ्री पेपरमिंट गम
  • -स्नैपल जीरो शुगर चाय और जूस
  • -एक्स्ट्रा शुगर फ्री मार्स च्युइंग गम
  • -जेल-ओ शुगर फ्री जिलेटिन डेजर्ट मिक्स
  • -शुगर ट्विन 1 स्वीटनर पैकेट
  • – ईकवल जीरो कैलोरी स्वीटनर

कार्सिनोजन क्या है?
एस्पार्टेम एक लोकप्रिय कृत्रिम स्वीटनर है जिसे अगले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संभावित कैंसरजन घोषित किया जाने वाला है। एस्पार्टेम को चीनी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा शून्य होती है। रॉयटर्स की रिपोर्ट की मानें तो एस्पार्टेम को कार्सिनोजेन की तरह बताया जा रहा है जिससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा हो सकती हैं। बता दें, कार्सिनोजेन ऐसे पदार्थ हैं जो मनुष्यों में कैंसर का कारण बन सकते हैं।

कितनी मात्रा में किया जाना चाहिए एस्पार्टेम का सेवन-
एस्पार्टेम एक आर्टिफिशियल स्वीटनर है  जिसे अमेरिका में फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा रेगुलेट किया जाता है। एफडीए ने एस्पार्टेम के लिए डेली इन्टेक लिमिट प्रति दिन शरीर के वजन के 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है, जबकि यूरोपियन यूनियन ने प्रति दिन 40 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की डेली इन्टेक लिमिट को रिकमेंड किया है।

इसलिए, एस्पार्टेम को एक संभावित कार्सिनोजेनिक मानने के लिए, हमें प्रतिदिन सेवन की जाने वाली मात्रा को भी देखना होगा। यदि इसकी मात्रा प्रति दिन 40 से 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम एडीआई से अधिक है, तो निश्चित रूप से यह हमारे शरीर के लिए कार्सिनोजेनिक है। उदाहरण के लिए, 60 किलो वजन वाले एडल्ट को 40 से 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम एडीआई से अधिक करने के लिए हर दिन 12 कैन डाइट सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करना होगा।

डॉक्टर की सलाह-
सीके बिड़ला अस्पताल, (गुरुग्राम) की मेडिकल ऑन्कोलॉजी सलाहकार, डॉ. पूजा बब्बर कहती हैं कि एस्पार्टेम एक समस्या से जुड़ा हुआ है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें 'फेनिलकीटोन्यूरिया' है। यह एक जेनेटिक डिसॉर्डर है जिसमें शरीर फेनिलएलनिन को ब्रेक नहीं कर सकता है। यह एस्पार्टेम में पाया जाने वाला एक अमीनो एसिड है और ऐसे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, इसीलिए एस्पार्टेम युक्त उत्पादों पर चेतावनी होती है कि फेनीलकेटोनूरिक में फेनीलालानीन होता है और ऐसे लोगों को निश्चित रूप से इससे बचना चाहिए।