गोरखपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 जुलाई को गोरखपुर पहुंचेंगे. वह यहां गीता प्रेस के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और शिवपुराण का विमोचन करेंगे. पीएम मोदी गीता प्रेस के अलावा कुशीनगर भी जाएंगे, जहां वह गौतम बुद्ध कृषि विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे.
पीएम गीता प्रेस भवन में आयोजित शताब्दी वर्ष समारोह के कार्यक्रम में शामिल होंगे. वहां यहां गीता प्रेस के परिसर में लीला चित्र मंदिर देखेंगे. खुद गीता प्रेस ने पीएम के दौरे की पुष्टि की है. हालांकि अभी तक उनका प्रोटोकॉल अभी नहीं भेजा गया है. 2023 प्रेस की स्थापना का शताब्दी वर्ष है. इसके लिए गीता प्रेस की ओर से पीएम को आमंत्रित किया गया है. हिंदू धर्म साहित्य के सबसे बड़े प्रकाशक गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी.
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार
गीता प्रेस को हाल ही में 2021 का 'गांधी शांति पुरस्कार' देने की घोषणा की गयी थी. गीता प्रेस को यह पुरस्कार 'अहिंसक और दूसरे गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में योगदान' के लिए दिया जा रहा है. गीता प्रेस ने सम्मान के लिए प्रशस्ति पत्र स्वीकार करते हुए पीएम का आभार जताया था, लेकिन पुरस्कार स्वरूप दी जाने वाली 1 करोड़ रुपये की राशि न लेने का फैसला किया है.
गीता प्रेस गोरखपुर की बोर्ड मीटिंग में तय हुआ है कि इस बार परंपरा को तोड़ते हुए सम्मान स्वीकार किया जाएगा, लेकिन पुरस्कार के साथ मिलने वाली धनराशि नहीं ली जाएगी. गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने बताया कि ये फैसला किसी दबाव में नहीं लिया गया बल्कि प्रेस की पंरपरा रही है. वहीं जयराम रमेश समेत कांग्रेस के नेताओं ने गीता प्रेस के संस्थापकों को गांधीजी के विचारों के विरोध में बताकर गीता प्रेस को यह पुरस्कार देने की आलोचना की थी.
41.7 करोड़ से ज्यादा किताबें छाप चुकीं
गीता प्रेस हिंदू धार्मिक ग्रंथों की दुनिया की सबसे बड़ी पब्लिशर है. 29 अप्रैल 1923 को जय दयाल गोयनका, घनश्याम दास जलान और हनुमान प्रसाद पोद्दार ने इसकी स्थापना की थी. गीता प्रेस अब तक 41.7 करोड़ से ज्यादा किताबें छाप चुका है.
ये किताबें हिंदी के अलावा 14 भाषाओं में हैं, जिनमें मराठी, गुजराती, ओड़िया, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, नेपाली, अंग्रेजी, बांग्ला, तमिल, असमिया और मलयालम भी शामिल हैं. इसके अलावा गीता प्रेस अब तक 16.21 करोड़ से ज्यादा श्रीमद्भगवद्गीता की कॉपियां, 11.73 करोड़ तुलसीदास की रचनाएं और 2.68 करोड़ पुराण और उपनिषद की कॉपियां छापी हैं.