वाशिंगटन
अमेरिक के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अफ्रीकी-अमेरिकियों और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए देश के विश्वविद्यालयों में आरक्षण के आधार पर दाखिला खत्म कर दिया है। एक दशक पुरानी प्रथा को पलटते हुए अमेरिका के सर्वोच्च अदालत ने यह फैसला सुनाया है। नस्ल और जातीयता के आधार पर नामांकन पर प्रतिबंध लगा दिया। यह निर्णय रो बनाम वेड मामले में सुनाया गया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि नस्ल और जातीयता के आधार पर कॉलेज में प्रवेश की अमुमति नहीं दा जा सकती है। इससे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिभावान छात्रों के दाखिले के अवसर कम होंगे।
मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने कहा कि बहुत लंबे समय से विश्वविद्यालयों ने गलत तरीके से यह निष्कर्ष निकाला है कि किसी व्यक्ति की पहचान की कसौटी चुनौतियों, निर्मित कौशल या सीखे गए सबक नहीं बल्कि उनकी त्वचा का रंग है। एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा संवैधानिक इतिहास उस विकल्प को बर्दाश्त नहीं करता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस फैसले पर अपनी असहमति जतायी है। व्हाइट हाउस ने जो बाइडेन के हवाले से कहा, ''उन्हें विविध पृष्ठभूमि और अनुभव वाले छात्र निकायों को सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़नी चाहिए जो पूरे अमेरिका को प्रतिबिंबित करते हैं।'' उन्होंने कहा कि कॉलेजों को उम्मीदवारों द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने का मूल्यांकन करना चाहिए।