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NDA में फूट डालने के लिए किया था NCP ने BJP का समर्थन, शरद पवार का खुलासा

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नई दिल्ली  
वरिष्ठ राजनेता शरद पवार ने स्वीकार कर लिया है कि साल 2019 में चुनाव के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी NCP भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ संपर्क में थी। हालांकि, वह दावा कर रहे हैं कि नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में दरार डालने के लिए NCP समर्थन देने की चर्चा कर रही थी। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया था कि 2019 में सरकार बनाने के बाद एनसीपी ने ही कदम वापस ले लिए थे।

पवार ने कहा, '2014 में एनसीपी ने भाजपा को सरकार बनाने के खुलकर बाहर से समर्थन दिया था, जिसका मकसद राज्य में एनडीए के साथियों के बीच दरार डालना था। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ बैठकें हुईं। जब भाजपा नेता दावे कर रहे हैं कि मैंने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ ग्रहण से कुछ समय पहले ही मन बदल लिया और सरकार नहीं टिकी।'

पवार ने की थी प्लानिंग
उन्होंने आगे कहा, 'यह मेरी सोची समझी चाल थी, यह दिखाने के लिए कि भाजपा सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकती है और एनसीपी सत्ता के पीछे नहीं है।' साल 2019 में जब शिवसेना और भाजपा अलग हुईं, तो एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन किया, जिसके मुखिया उद्धव ठाकरे बने।

2014 में नहीं बनी बात
कहा जा रहा है कि 2014 में एनसीपी ने यह मानते हुए भाजपा को समर्थन दे दिया था कि कि एनडीए के दलों में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद होगा, लेकिन शिवसेना से ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा आगे रही। ऐसे में एनसीपी का दांव फेल हो गया और शिवेसना ने सीएम पद के लिए भाजपा की दावेदारी स्वीकार कर ली। हालांकि, 2019 में स्थिति बदल गई और शिवसेना 5 साल भाजपा के सीएम बनाए रखने पर राजी नहीं हुई।

बार-बार गिरी सरकार
शिवसेना से अलग होकर भाजपा ने अजित पवार का समर्थन हासिल कर लिया था, लेकिन एनसीपी ने सरकार को समर्थन नहीं दिया और नतीजा हुआ कि सरकार गिर गई। बाद में एमवीए सरकार का गठन हुआ। जून-जुलाई 2022 में अविभाजित शिवसेना के विधायक एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ मिलकर बगावत कर दी थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार गिरी और भाजपा-शिंदे की सरकार बनी, जिसमें शिंदे सीएम और फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।

स्वीकारा सच
उपमुख्यमंत्री फडणवीस राज्य के गृह मंत्री भी हैं। उन्होंने हाल ही में एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में दावा किया था कि पवार 2019 में भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए सहमत हुए थे लेकिन फिर तीन-चार दिनों के बाद वह पीछे हट गए। फडणवीस ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि आखिरकार पवार को सच बताना पड़ा।