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कश्मीर में दोहरा दायित्व निभा रहे सुरक्षा बल, आतंकियों की रणनीति का जवाब देने को है तैयार

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कश्मीर में सुरक्षा बल अपना दोहरा दायित्व निभा रहे हैं। एक तरफ घाटी में चुनाव और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा माने जा रहे आतंकियों को ढेर करने का सिलसिला जारी है। तीन महीने में 48 आतंकियों को सुरक्षा बल मौत के घाट उतार चुके हैं। दूसरी तरफ आम कश्मीरियों को सुरक्षाबल समझा रहे हैं कि उनके विकास और बेहतरी के लिए चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना जरूरी है। किसी से डरने की जरूरत नहीं है। सुरक्षा बल से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि आम लोग चुनावों में दिलचस्पी ले रहे हैं लेकिन भय और दहशत का माहौल खत्म करना सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी है और हम इस अभियान में जुटे हैं। आतंकी गुटों का साथ देने वालों को भी स्पष्ट रूप से आगाह किया जा रहा है कि अगर वे मुख्यधारा से अलग सोच के साथ खड़े होंगे तो उन्हें दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा। सीआरपीएफ के सूत्रों ने कहा कि तीन महीने में सुरक्षा बल उच्च स्तर से मिले संदेश के मुताबिक आतंकियों को ठिकाने लगाने में जुटे हैं। करीब 90 दिन के भीतर जिन 48 आतंकियों को मार गिराने में सफलता मिली है, उनमें जैश के अलावा स्थानीय आतंकी भी शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि चुनाव के दौरान आतंकवादी गुट अलगाववादी नेताओं के साथ सांठगांठ करके बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश रच रहे हैं। इसके चलते शांतिपूर्ण चुनाव कराना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती है। सुरक्षा एजेंसियों ने खुफिया एजेंसियों की मदद से पूरे घाटी में सघन अभियान शुरू किया है। हर इलाके में सक्रिय आतंकी व अलगाववादी गुटों की गतिविधि खंगाली जा रही है। संदिदग्धों को हिरासत में भी लिया जा रहा हे। एजेंसियों को सूचना मिली है कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी व जेकेएलएफ के सदस्यों ने नाम बदलकर गुपचुप तरीके से अपनी गतिविधि शुरू की है। वे स्थानीय लोगों को चुनाव से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही है। सूत्रों ने कहा कि घाटी में सुरक्षा बल आतंकियों व अलगाववादी गुटों की हर रणनीति का जवाब देने को तैयार हैं।