मुंबई
फिल्म ‘त्रिमूर्ति’ के असफल रहने के बाद निर्देशक सुभाष घई अपनी फिल्म ‘परदेस’ का निर्माण कर रहे थे। इस फिल्म के लिए सुभाष घई ने बहुत मेहनत की थी। उन्होंने कई बड़े कदम उठाए थे इस फिल्म के लिए। जैसे उन्होंने ‘परदेस’ में सलमान खान, माधुरी दीक्षित और शाहरुख खान जैसी स्टार कास्ट को लेने की जगह, नए कलाकारों के साथ काम करने का फैसला किया।
इसी तरह सुभाष घई ने फिल्म ‘परदेस’ में महान संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जगह नदीम श्रवण के साथ काम करने का निर्णय लिया। सुभाष घई चाहते थे कि उनकी फिल्म में नया फ्लेवर हो, जो दर्शकों के दिल को छू जाए। सुभाष घई के साथ काम करने का अवसर पाकर संगीतकार नदीम श्रवण खुश तो थे मगर उन्हें घबराहट भी थी। इसकी वजह ये थी कि दोनों पहली बार सुभाष घई के साथ काम कर रहे थे और सुभाष घई के बारे में यह मशहूर था कि वो अपनी फिल्मों में गानों के कई रिटेक्स लेते थे।
इसके साथ ही जब तक सुभाष घई को संतुष्टि नहीं हो जाती, तब तक वो रिकॉर्डिंग को फाइनल नहीं करते थे। नदीम श्रवण चाहते थे कि उनका काम सुभाष घई को पसन्द आए। ऐसा न हो कि सुभाष घई लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जगह, उन्हें शामिल करने के अपने निर्णय पर अफसोस करने लगें।