नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे पर सवालिया निशान लगाए हैं। बुधवार को ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक तस्वीर साझा की, जिसमें सुनीता विश्वनाथ नाम की महिला नजर आ रही हैं। साथ ही भाजपा ने सवाल पूछा है कि आखिर कांग्रेस नेता को विश्वनाथ से मुलाकात की क्या जरूरत पड़ गई। इसके अलावा एक बार फिर अरबपति जॉर्ज सोरोस के नाम भी चर्चाएं भारतीय सियासत में हो रही हैं।
कौन हैं सुनीता विश्वनाथ
सुनीता विश्वनाथ हिंदूज फॉर ह्यमून राइट्स की सह संस्थापक हैं। साथ ही वह इंडियन अमेरिका मुस्लिम काउंसिल यानी IAMC जैसे कट्टर संगठनों के कार्यक्रमों से भी जुड़ी रही हैं। खास बात है कि संसद से राहुल की सदस्यता जाने पर IAMC ने भी सवाल उठाए थे और अमेरिकी राष्ट्रपति से दखल देने की मांग की थी।
इसके अलावा विश्वनाथ आबाद: अफगान वीमन फॉरवर्ड की भी सह संस्थापक हैं। साल 2020 में कोलंबिया विश्वविद्यालय की रिलीजियस लाइफ एडवाइजर बनाए जाने के बाद वह काफी विवादों में आ गईं थीं। सोशल मीडिया पर विश्वनाथ पर सोरोस की एजेंट या प्रॉक्सी होने के भी आरोप लगते रहे हैं। आरोप हैं कि अफगान वीमन को सोरोस से ही फंड मिले थे। विश्वनाथ की पहली शादी लेखक सुकेतू मेहता और दूसरी शादी स्टीफन शॉ से हुई थी।
पाकिस्तानी कनेक्शन
संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, IAMC और इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ICNA) का इस्तेमाल लंबे समय से भारत के खिलाफ किया जाता रहा है। एक ओर जहां IAMC के प्रमुख रशीद अहमद हैं, जो इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन (IMANA) के पदाधिकारी भी थे।
IMANA के डायरेक्टर ऑफ ऑपरेशन्स जाहिद महमूद पाकिस्तानी नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, IAMC ने वॉशिंगटन डीसी में भारत के खिलाफ लॉबी के लिए फिडेलिस गवर्नमेंट रिलेशन्स (FGR) को नियुक्त किया था। कहा गया है कि 2013 और 2014 में IAMC ने FGR को सेवाओं के लिए 40 हजार डॉलर का भुगतान भी किया था।
राहुल की सदस्यता पर IAMC की प्रतिक्रिया
25 मार्च 2023 को IAMC ने ट्वीट किया, 'भारतीय संसद से राहुल गांधी की अयोग्यता लोकतंत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन है और भारत के फासीवादी राज्य बनने की डरावनी याद दिलाती है। यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि हर उस शख्स पर हमला है, जो मोदी शासन का आलोचक है।' एक अन्य ट्वीट में IAMC ने लिखा, 'हम अमेरिका के राष्ट्रपति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस घटनाक्रम पर ध्यान देने और भारत में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बोलने की अपील करते हैं।'